कर्त्तव्य बोध -अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

पुरातन से ओजस्विता लिए ,
विचरण हम जब – जब करते हैं ।
सत्य -दृढ़ अनुशीलन पर ,
तब मार्ग प्रशस्त हम करते हैं ।

यह संधिकाल सुकर्म का है ,
प्रत्येक साध्य यतन का है ।
समदृष्टि से सन्मार्ग धरो ,
नभ और पाताल में शक्ति भरो ।

प्रत्येक कुशलता यश होगा ,
सुराज पर तेरा स्वत्त्व होगा ।
मर्यादा का सब रक्षक होगा ,
न कोई प्रीति भक्षक होगा ।

जब उठते रहें विवेक सभी ,
तब छँटते रहें अनर्थ सभी ।
जीवंत बनो ; निष्प्राण नहीं ,
इस जन्म मनुज का अर्थ तभी ।

हे मानव कर्म का सृजन करो ,
ले विश्वास अमित सुमार्ग धरो ।
हो अलौकिक तेरा जीवन ,
स्वकर्म निरत रह कभी न डरो ।

रचयिता :-
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड – बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर )

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