अग्निवीर- सुरेश कुमार गौरव

suresh kumar gaurav

ये जीवन अग्निपथ ! इस जीवन का है सुगम-पथ
अहिंसा-पथ जीवन का है, सबसे अच्छा सु-पथ।

हिंसा सभ्य समाज की नहीं रही है कभी सोच
कैसे देश आगे बढ़े यही रहनी चाहिए सोच।

तो अग्निवीरों के नाम पर अग्निकांड कैसे?
अग्निकांड कर अग्निवीर फिर बनेंगे कैसे?

शिक्षा के मंदिर से लौटते बच्चों के रुदन
आवागमन अवरुद्ध के कारण मचा क्रंदन।

अफसोस की नेता इसमें भी सेंकते अपनी रोटियां
नौनिहालों को बहकाने में लगा देते एड़ी-चोटियां।

ट्रेनों में आगजनी, सड़कों पर मच रहा बवाल
क्यूं हंगामा है बरपा ? खून खौलता ये उबाल।

देश पूछता है इनसे एक सटीक तर्कपूर्ण सवाल
सच्चाई जाने बगैर क्यूं कूदे? दें इसके जबाव।

भरोसा क्यूं नहीं है? इनको इस अग्निवीर से
पहलें समझें अग्निवीर को फिर पूछें खुद से।

अग्निपथ पर उपद्रव से क्या होगा हासिल?
शांति से मिल बैठकर ही मंजिल होगा हासिल।

उन बच्चों ने क्या बिगाड़ा जो पढ़ लौट रहे थे
उन सांसों को क्यूं छीना ? जो छटपटा रहे थे।

शहर-शहर अफवाहों का ये क्यूं करते आगजनी
देश के नौजवानों रेल पथ,रेल से क्या है दुश्मनी।

देश के कर्म-पथ पर लगाई किसने बर्बादी की आग
जागो समझो और कर्मरत हो खुद से जाओ जाग।

ये जीवन अग्निपथ! इस जीवन का है सुमार्ग पथ
अहिंसा-पथ जीवन का है सबसे अच्छा सु-पथ।

सुरेश कुमार गौरव,स्नातक कला शिक्षक,पटना (बिहार)
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित

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