ह्रदय की पुकार- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

ह्रदय की पुकार पर ,
बढ़े चलो -बढ़े चलो ।

मन कभी विचलित भी हो ,
तुम भटक गए पथिक भी हो ।
सुनो हमेशा अपनी पुकार पर ,
रुको न अपनी राह पर ।
ह्रदय की पुकार पर ,
बढ़े चलो – बढ़े चलो ।

जब द्वंद्व की पुकार हो ,
जब फैसले में रार हो ।
तब इधर – उधर मत चुको,
इधर -उधर मत झुको ।
ह्रदय की पुकार पर ।
बढ़े चलो -बढ़े चलो ।

जब उदास मन भी आ मिले ,
न नयन प्रेम से मिले ।
धैर्य जब जबाव दे ,
जब अपना लोग त्याग दें ,
ह्रदय की पुकार पर ,
बढ़े चलो -बढ़े चलो ।

दिन जब खराब हो ,
अपना न कोई पास हो।
सभीत जब रात हो ,
दुःख ही दुःख का साथ हो ,
ह्रदय की पुकार पर ,
बढ़े चलो – बढ़े चलो ।

बीते कल के जख्म हों ,
असह्य दुःख संग हों ।
ठंड की जब रात हो ,
कोई न संग साथ हो ।
ह्रदय की पुकार पर ,
बढ़े चलो -बढ़े चलो ।

जब सुरताल न मिले ,
जब मन प्रसन्न न खिले ।
जहाँ जाएँ – मन न मिले ,
तब छोड़ -छाड़ सब चलो ।
ह्रदय की पुकार पर ,
बढ़े चलो -बढ़े चलो ।

अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड – बंदरा (मुज़फ़्फ़रपुर )

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