दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

Devkant

भारत देश महान है, पावन जिसका नाम।
ज्ञान-चक्षु से देखिए, निर्मल है अभिराम।।

आजादी का अर्थ यह, करें देश-हित काज।
धैर्य लगन से हों सतत् , देश बने सरताज।।

आजादी के रंग में, अनुपम दिव्य उजास।
चमक कभी खोए नहीं, करें सुरक्षा खास।।

अपने प्यारे देश से, सदा कीजिए प्यार।
ज्ञान और विज्ञान का, कायल है संसार।।

तीन रंग से है बना, भारत की पहचान।
बढ़ा तिरंगा नित रहा, हिंद देश की शान।।

नमन तिरंगे को करें, बना राष्ट्र-अभिमान।
यही हमारे देश की, आन बान है शान।।।

रंग तीन करते सदा, वीरों का यश गान।
मातृभूमि गौरव बना, यही राष्ट्र सम्मान।।

आजादी अनमोल है, याद रहे यह बात।
स्वर्णिम भारत देश पर, कभी न हो आघात।।

हरी-भरी हो भारती, भाईचारा शांति।
होता रहे विकास नित, बढ़े देश की कांति।।

जन गण मन अद्भुत ललित, गाते रहिए गान।
करे विभूषित देश को, सदा बढ़ाए शान।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार

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