रामधारी सिंह दिनकर – नीतू रानी

Nitu

जिनके सिंहनाद से सहमी धरती
है रही अभी तक डोल,
✒️ कलम आज उनकी जय बोल
✒️ कलम आज उनकी जय बोल।

आज है 23सितंबर का दिन
आज का दिन है बड़ा महान,
आज हीं जन्म लिए दिनकर जी
उनके लिए हम गाते जय गान।

इनका जन्म 23 सितंबर 1908 ई०को
जिला बेगूसराय सिमरिया नामक गाँव में एक किसान परिवार में हुआ,
इनके पिता का नाम रवि सिंह
माता का नाम मनरूप देवी था।

बहुत छोटे थे दिनकर जी
इनके पिता स्वर्ग सिधार गए,
विधवा बनकर पाली माता
सर पर कितना भार लिए।

बचपन से थे ये बुद्धिमान
गह -गह में था इनके बुद्धि भरा,
मिला आशीर्वाद माता -पिता का
कुल का नाम ये रौशन किया।

1928 ई० में मैट्रिक किए ये
1932ई०में बी०ए०किए,
उसी के अगले साल 1934में
दिनकर जी प्रधानाध्यापक बने।

भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति वे 1960 ई0 में बने
उसी समय से भागलपुर से पूर्णियाँ आना -जाना भी शुरू किए।

पूर्णियाँ काॅलेज में रश्मिरथी नामक पुस्तक की‌ ये रचना किए
उसी रश्मिरथी में एक रचना
कृष्ण की चेतावनी भी लिखे।

उस कृष्ण की चेतावनी में
ये दोहे हैं लिखे हुए,
वर्षों तक वन में घूम-घूम
बाधा विघ्नों को चूम- चूम,
सह धूप-घाम पानी पत्थर
पाँडव आए कुछ और निखर,
सौभाग्य न सब दिन सोता है
देखो आगे क्या होता है,
मैत्री की राह बताने को
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान हस्तिनापुर आए
पाँडव का संदेशा लाये।

दिनकर जी को राष्ट्रपति ने
राज्यसभा में सदस्य के रूप में मनोनीत किए,
उसी दिन से उनको सभी राष्ट्रकवि कहके पुकारना शुरू किए।

24 अप्रील 1974 ई0 को
ईश्वर आए इनके पास,
ईश्वर ने गोदी में बिठाकर
ले गए वो उनको अपने साथ।

आज हम हमसब इनके जन्म दिन पर
करते हैं शत्- शत् बार प्रणाम
जबतक सूरज चाँद रहेगा

अमर रहेगा इनका नाम ।

नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।

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