बेटी हूँ – उज्जवल कुमार “उजाला”

Ujjwal Kumar Ujjala
  • बेटी हूँ , पढ़ सकती हूँ, लिख ‌सकती हूँ ।
    जिंदगी के कठिन राहें पर चल सकती हूँ ।।

  • बेटी हूंँ , बोल सकती हूँ , सुन सकती हूँ ।
    अपनी आवाज उठा सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ, हँस सकती हूँ, हँसा सकती हूँ।
    कंधों पर दुनियाँ का बोझ उठा सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ, मम्मी -पापा के सपनों को साकार कर सकती हूँ।
    परिवार चलाने की हिम्मत रख सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ, समाज की सेवा कर सकती हूँ।
    देश की सुरक्षा कर सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ, बंदूक उठा सकती हूँ।
    दुश्मनों को उन्हीं के भाषा में जवाब दे सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ, पढ़ -लिखकर आगे बढ़ सकती हूँ।
    पी०एम० ,सी०एम० और डी०एम बन सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ, भारत माता की सुपुत्री बन सकती हूँ ।
    मातृभूमि की पूजा तन -मन से कर सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ, गीत – संगीत की दुनियाँ
    बसा सकती हूँ।
    नृत्य कला में अपना नाम रोशन कर सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ ,हर सुख -दु:ख में साथ दे सकती हूँ।
    अपना बोझ खुद उठा सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ, ईश्वर की पूजा कर सकती हूँ।
    मंदिर- मस्जिद का भेदभाव मिटा सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ, आगे चलकर बहुत कुछ कर सकती हूँ ।
    महिला सशक्तिकरण के लिए अपनी आवाज बुलंद कर सकती हूँ।।

  • बेटी हूँ,घर पर चुप नहीं बैठ सकती हूँ।
    दुनियाँ में अपनी पहचान बना सकती हूँ।।

  • पापा मैं बड़ी हो गई हूँ
    आपकी बेटी हूँ, आपका सहारा बन सकती हूँ,
    आपका आशीर्वाद सदा हमें मिलता रहे
    क्योंकि मैं आपकी बेटी हूँ —-

उज्जवल कुमार “उजाला”
सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी
बिहार शिक्षा परियोजना
रोहतास बिहार।

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