नाम की महिमा – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

सूर – रसखान करें
महिमा की गुण गान,
छोड़ जग दिन रात, मीरा जपी राधे श्याम।

नाम का सहारा ले के
जायसी कबीर तरे,
संतो को प्राणों से प्यारे, तुलसी के सीताराम।

गज तरा ध्यान धर,
अहिल्या पा पद-रज,
भोलेनाथ-हनुमान, जपते हैं अविराम।

विदुर के साग खाए
शबरी के झूठे फल,
ऐसे दीनानाथ “रवि’, भजो छोड़ सारे काम।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

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