मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम

जलता है रात-भर,

स्नेह भरा यह दीप,

बुझ गया यादें छोड़,

सविता के आने से।

जल उठे साँझ ढले,

बाती-तेल अवशेष,

अंतर्मन जाग जाए,

दीया जल जाने से।

फलक को छोड़कर,

लौट आए नभचर,

पुलकित तारापथ,

पंछियों के जाने से।

निशा को इशारा करें,

थक कर दिनकर,

देखो पिया मुस्कुराती,

प्रीतियुक्त पाने से।

एस.के.पूनम
प्रा. वि. बेलदारी टोला,
फुलवारी शरीफ़, पटना

Leave a Reply