दोहावली – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

Kumkum

देवाधिदेव महादेव

दया सिंधु शिव जी सदा,करते हैं कल्याण।

जो भी आते हैं शरण,पाते वो वरदान।।

बाबा भोलेनाथ को, पूजे जो नर-नार।

पाकर नित आशीष को,करते निज भव पार।।

सावन आया झूमकर,पड़ने लगीं फुहार।

बाबा के जयकार से,गूँज रहा दरबार।।

काँवर लेकर चल दिये,भोले के दरबार।

आकर बाबा धाम में,करते जय-जयकार।।

उमापति महादेव को,जो सुमिरे दिन-रैन।

भव-बंधन को छोड़कर,पायेगा वो चैन।।

उमापति महादेव हैं,सबके प्राणाधार।

प्रतिदिन सुमिरन,जाप से, होगें भव से पार।।

कुमकुम कुमारी “काव्याकृति” शिक्षिका

मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर

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