नारी तू नारायणी है – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

समाज की बलि नित्य बनती है औरत! क्या समाप्त हो गई इसकी जरूरत? श्रद्धा से प्रेरणा पा “मनु’ को आई जागृति, नारी समाज के दामन से जुड़ी भारत की संस्कृति।…

फाल्गुन के भाव – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

कृपाण घनाक्षरी छंद विद्या:-फाल्गुन के भाव जंगल में नाचे मोर कोयल मचाती शोर, हलचल चहुंओर, आ गया फाल्गुन मास। हाथों में गुलाल लाल कर के गुलाबी गाल, मोरनी की देख…

बगिया के फूल – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

विद्या:-रूप घनाक्षरी छंद बच्चें लगें फूल ऐसे गेंदा व गुलाब जैसे, खिले खिले चेहरे पे, दिखते जब मुस्कान। परियों की पंख लगा उड़ते आसमान में, दुनिया के गम से वो,…

कन्हैया की बाँसुरी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

कन्हैया की बाँसुरी मनहरण घनाक्षरी छंद “”””””””””””””””””””””” नैन कजरारे काले सिर लट घुंघराले, सबकी लुभाता मन, सूरत ये सांवरी। मोहक छवि के आगे फीके पड़े कामदेव, मोहन का रूप देख,…

चलो हम दर्शन करें – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

आज आएंगे अवधपुरी राम, चलो हम दर्शन करें, अलौकिक सजी है अयोध्या धाम, चलो हम दर्शन करें।। ले हाथों में पान-सुपारी, पंक्तिबद्ध खड़े नर नारी, बिना देखे ना करेंगे विश्राम,…

प्रभाती पुष्प – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

सनातन पर नाज रूप घनाक्षरी छंद “”””””””””””””””””” पाँच सौ वर्षों के बाद वनवास काटकर, राम रघुवर मेरे अवध में आए आज। आँगन सजाते सभी राम गीत गाते कभी, देश की…

रघुवर सरकार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

जग के पालनहार रघुवर सरकार, हमारे आराध्य देव राम भगवान हैं। दीनों पे अकारण हीं करूणा हैं बरसाते, उनके सेवक भक्त वीर हनुमान हैं। लखन अनुज भ्राता जननी कौशल्या माता,…

राम रमैया – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

आज घर-घर में बाजे बधैया हो, अइलन राम रमैया। राजा लूटावैं अन्न-धन सोनमा, रानी लुटावैं रूपैया हो,अइलन राम रमैया।। देख मगन भेल सब नर-नारी, आरती उतारें मिल तीनों महतारी। मिल…

राजा राम – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

सजी है अवधपुरी नवेली दुल्हन जैसी, सिंहासन बिराजेंगे, सबके दुलारे राम। संत-भक्त-साधकों का सपना साकार हुआ, बैठे थे वे सदियों से, विश्वास की डोर थाम। भारत के नर-नारी उन पर…