गुरुवर सच्चे कर्णधार-देव कांत मिश्र दिव्य

गुरूवर सच्चे कर्णधार गुरूवर तुम सच्चे कर्णधार सारे शिष्यों का बहुत भार। दिव्य ज्ञान की जोत जलाकर निशिवासर करते उपकार ।। गुरूवर……….. ‌ पूजनीय तुम वंदनीय हो तुम हो अजस्र…