बेटी के मायने – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

बेटी है तो यह घर संसार है।

बेटी है तो संबधों के आधार हैं।।

बेटी है तो संबंधों में संचार  हैं।

बेटी है तो संबंधों के मधुर जाल हैं।।

बेटी है तो सभ्यता का आधार है।

बेटी है तो संस्कृति का विस्तार है।।

बेटी है तो तरह तरह के संस्कार हैं।

बेटी है तो घर में खुशियों के आधार हैं।।

बेटी है तो घर में रक्षाबंधन है।

बेटी है तो भैया दूज है।

बेटी है तो सरस्वती की पूजा है।

बेटी है तो दुर्गा की पूजा है।

बेटी है तो लक्ष्मी की पूजा है।

बेटी है तो शादी ब्याह है।

बेटी है तो भविष्य का विश्वास है।

बेटी है तो जीवन में उल्लास है।

बेटी है तो सपनों की उड़ान है।

बेटी है तो संबंधों की पहचान है।

बेटी है तो घर की सुंदरता है।

बेटी है तो घर की रमणीयता है।

बेटी है तो घर में सफलता है।

बेटी  है तो घर में मुस्कान है।

बेटी है तो घर में  मेहमान हैं।

बेटी  है तो घर की लाज है।

बेटी  है तो घर की शान  है।

बेटी है  तो सुखद सृष्टि है‌।

बेटी है तो सुखद स्मृति है।

बेटी है तो सुखद कृति है।

बेटी है तो सुखद आकृति है।

बेटी है तो जीवन की आशा है।

बेटी है तो जीने की अभिलाषा है।

बेटी है तो अनुशासन की भाषा है।

बेटी है तो जीवन जीने की परिभाषा है।

बेटी है तो घर की जान है।

बेटी है तो सारा जहान है।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर

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