राजू के घर चली मासी – अवनीश कुमार

Awanish Kumar Avi

 

राजू के घर चली मासी

बच्चों के लिए ली गरमा-गरम समोसे।

रास्ते मे बंदर आया,

झपटा थैला, ले गए समोसे।

मासी का उतरा चेहरा ऐसे- जैसे

लगे लाल-लाल टमाटर जैसे।।

मासी आई खाली हाथ।

दौड़ा राजू मासी के पास।।

मासी क्या-क्या लाई हो,

टॉफ़ी- वॉफ़ी कहाँ छुपाई हो?

मासी बोली ली थी तेरे लिए गरमा-गरम समोसे

बन्दर झपटा समोसे ऐसे-जैसे,

तू झपटता मुन्नी पर जैसे।

तुझे चाहिए यदि टॉफ़ी-वाफ़ी

पहले मुन्नी से चल मांग माफ़ी।

राजू ने मुन्नी से मांगी माफ़ी,

मासी ने दिलाई राजू-मुन्नी को टॉफ़ी।

अवनीश कुमार

व्याख्याता (बिहार शिक्षा सेवा )

प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय विष्णुपुर, बेगूसराय

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