गीत- रामपाल प्रसाद सिंह

आज जयंती है दिनकर की, अपनी रचना लिखकर गाओ।

जिसने लिखकर समय को मोड़ा, उनकी रचना सुनो सुनाओ।।

विषम काल में जीवन पाकर, निर्भयता से लिखना सीखें।

बीत गए दशकों जो उनके, जीवन से कुछ करना सीखें।

लिए राग रस राष्ट्रप्रेम के, स्वयं डूबो और डूबाओ।

जिसने लिखकर समय को मोड़ा, उनकी रचना सुनो सुनाओ।।

“हुंकार” की एक चिंगारी, देखते रह गए खड़े-खड़े।

गुलामी की जंजीर हाथ से, निकलेगी सब बोल पड़े।

समय काल को देख परखकर, एक बार पुनः दोहराओ।

जिसने लिखकर समय को मोड़ा, उनकी रचना सुनो सुनाओ।।

हिंदी के किए अपमान पर, सिंह गर्जना करते रहते।

देश विदेश के भारतीयों में, राष्ट्र भावना भरते रहते।

मिला है अवसर आज हमें तो, देशविरोधी मार भगाओ।

जिसने लिखकर समय को मोड़ा, उनकी रचना सुनो सुनाओ।।

रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

मध्य विद्यालय दरवेभदौर, पंडारक, पटना

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