मेरी बेटियाँ- डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

    मेरी बेटियाँ! मेरे प्रतिरूप, मैं बसती हूँ उनमें, अंतस्थ बिल्कुल अंदर, आद्योपांत सर्वांग, प्राणवायु की तरह। मेरी बेटियाँ! मुस्कुराहटों में, आशाओं में, बातों में, आख्यानों में, संवाद में,…