रावण-एक अपराजित योद्धा – संजय कुमार

उसे घमंड था कि,मैं हूँ अपराजेय हूँ त्रिलोक विजेता। दिग,दिगंत है हमारी मुट्ठी में, पर भूल रहा था वो। अपराजित होने के लिए, मिथ्या दम्भ,अभिमान का करना पड़ता है दमन।…

सिद्धिदात्री – संजय कुमार

हे सिद्धिदात्री,हे मातृशक्ति करता रहूं मैं,अविरल भक्ति। तिमिर अज्ञानता को नष्ट करो सद्बुद्धि,सद्भाव ज्ञान भरो। इतनी सी माँ दया करो सुनलो पुकार इस भक्त की। हे सिद्धिदात्री,हे मातृशक्ति करता रहूं…

साबरमती के संत – संजय कुमार

साबरमती के संत आप हमेशा याद आएंगे। युगों-युगों तक आपके आदर्श एक नया मार्ग दिखलाएंगे। सत्य,अहिंसा की राह चल हम अपने लक्ष्य को पाएंगे, हे साबरमती के संत आप हमेशा…

बंधन प्रीत के – संजय कुमार

आपसे ही बंधी,मेरे जीवन की हर डोर आपसे ही पिया सांझ है,आपसे ही भोर। आप ही मेरे,मनमंदिर के अप्रतिम देव, मैं आपकी प्राणेश्वरी,आप मेरे महादेव। आपके कदमों में ही,मेरा सकल…

हे गुरुदेव – संजय कुमार

अज्ञानरूपी तिमिर दूर कर हम ज्ञान की अलौकिक रश्मि फैलाएं, आइए हमसभी मिलकर फिर दिव्यज्ञान की एक दीप जलाएं। गुरु के ऋण को कहाँ कोई चुका पाया है गुरु अंधकूप…

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