आज़ादी की गाथा-नरेश कुमार ‘निराला’

आजादी की गाथा

ब्रिटिश से आजादी मिलने पर
युवा भारत इतराया था,
दिल्ली के लाल किले पर
मुक्ति का झंडा फहराया था।

सरफरोशी की तमन्ना जब
भारतीयों ने झूम-झूम कर गाया था
पूरे उत्साह और उमंगों से
आजादी का पर्व मनाया था।

उस स्वाधीनता की जश्न को
सब हिन्दुस्तानी मनाते है,
जन-गण-मन अधिनायक जय हे
सब मिल-जुलकर गाते हैं।

स्वतंत्रता का फूल चढ़ाकर
शहीदों की मजार सजाते हैं,
उन्मुक्त गगन में राष्ट्र पताका
हम हिन्दुस्तानी फहराते है।

बंदिशों और दासता के बेड़ियों में
भारत को अब न बँधने दूँगा,
हर हिन्दुस्तानी की शान तिरंगा
इसे कभी न झुकने दूँगा।

पूरा देश एकजुट था तब जाकर
आजादी का सपना हुआ साकार,
इस आजाद मुल्क में चहुंओर बजते
देशभक्ति गीतों की झनकार।

@रचनाकार
नरेश कुमार ‘निराला’
शिक्षक सह कवि
सुपौल, बिहार

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