आजमाने के लिए-राम किशोर पाठक 

Ram Kishore Pathak

वक्त लोगों को बहुत है आजमाने के लिए।

दाव सारे जानते हैं जो गिराने के लिए।।

वक्त ने ऐसा सितम भी आज ढाया है यहाँ।

दूर अपने हो गए दौलत कमाने के लिए।।

कर रहा जख्मी हृदय जो शब्द क्यों वह बोलना।

प्यार के कुछ बोल काफी जुल्म ढाने के लिए।।

खास बनकर पास आते और खंजर घोंपते।

आप क्यों बेचैन उनको पय पिलाने के लिए।।

रात कितनी भी घनी हो कालिमा फैला रही।

दीप लेकर चल पड़ा उसको मिटाने के लिए।।

जानता हूॅं राह में दुश्मन बहुत फैले हुए।

चल दिया फिर भी अभी मैं दंश खाने के लिए।

देखता हूँ जोर कितना बाजुए कातिल लिए।

बाँधकर सिर पर कफन तैयार जाने के लिए।।

पुष्प का मैं हार लेकर चल रहा हूॅं ढूँढता।

देश पर तैयार हो जो सिर कटाने के लिए।

जोड़ता है हाथ पाठक राष्ट्र रक्षक को सदा।

और श्रद्धा का सुमन अर्पित चढ़ाने के लिए।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक 

प्रधान शिक्षक 

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला

बिहटा, पटना, बिहार।

संपर्क – 9835232978

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply