भू-तल पर जन-जीवन की तुम आशा हो। माँ तुम चराचर जगत की परिभाषा हो। तुम हीं लक्ष्मी, सरस्वती, तुमसे जीवन है, माँ तू जण-गण की सब कलिमल नाशिनी हो। तू…
Author: Anupama Priyadarshini
पुस्तकें – रत्ना प्रिया
जीवन की आधार पुस्तकें, ज्ञान की भंडार पुस्तकें, “तमसो मा ज्योतिर्गमय” की, भरती है संस्कार पुस्तकें । जग को राह दिखानेवाली, ध्येय पथ ले जानेवाली, दुःख-संकट में पड़े मनुज की,…
अब हमें भूगोल बदलना चाहिए – निधि चौधरी
अब दुश्मन को मिलकर दलना चाहिए लाहौर कराची नही पूरा पाक दहलना चाहिए। गुस्ताखी कर दी,तुमने हमें छेड़ कर, अब इतिहास नहीं भूगोल बदलना चाहिए। खूब हुआ गणतंत्र दिवस का…
कुँवर सिंह – राम किशोर पाठक
मनहरण घनाक्षरी मृगराज सी हुँकार, चमकती तलवार, अंग्रेजों को ललकार, किए जो कमाल थे। उम्र अस्सी किए पार, यौवन सी स्फूर्ति धार, रविसुत हो सवार, बने जो विकराल थे। गोली…
वीर कुँवर की हुंकार – एस. के. पूनम
विधा: मनहरण छंद मगध की भूमि पर, कुँवर सेनानी वीर, हुंकार शार्दूल सम, दुश्मनों के काल थे। न थी उम्र की चिंता, न थी शिकन की रेखा, आभा लिए रवि-सम,…
वीर कुँवर सिंह – रत्ना प्रिया
वीर कुँवर, तुम मगध भूमि के, भारती के लाल थे, अंग्रेजों को मार भगाने, संहारक व काल थे। अस्सी वर्ष की तरुणाई ने, शत्रु का प्रतिकार किया, गुरिल्ला युद्ध में…
विधा: दोहा – देवकांत मिश्र ‘दिव्य
विधा: दोहा पृथ्वी दिवस मनाइए, लेकर नव विश्वास। जन-जन को जागृत करें, पेड़ लगाएँ पास।। हरित दिखे धरती सदा, ऐसा लें संकल्प। वृक्षारोपण में कभी, जोश न हो अल्प।। पादप…
वसुधा पुकारती – एस. के. पूनम
विधा – मनहरण छंद तड़ाग में भरा पंक, अब खिलेगा सारंग, पुष्प पर बैठे अलि, बना है शरारती। लुभावने लग रहे, ऊँचे-ऊँचे तरुवर, छोटे-मोटे वृक्षों पर, फैल रही मालती। प्रकाश…
आओं हम सिखलाएं – राम किशोर पाठक
द्विगुणित सुंदरी छंद आओं दीप जलाएं, सबको राह दिखाएं। सच करना सपनों को, आओं हम सिखलाएं।। देखो अनपढ़ कोई, भूल से बच न जाए, अक्षर की भाषा का, जीवन राग…
खाकर हो जाते हवा हवाई – नीतू रानी
पृथ्वी दिवस मनाइए, साल में दो पेड़ लगाइए।। पृथ्वी को रखिए सुरक्षित, लगाइए उस पर सुंदर-सुंदर वृक्ष।। उपजाइए पृथ्वी पर अन्न, प्रसन्न रहेगा आपका मन।। खेत में न दीजिए विषैले…