अनजान रिश्ते जल्द रिश्तों में बदल गए, न कभी देखा न कभी जाना हाय दैया रिश्ते में मेरे पति बन गए। स्कूल में बैठी थी कुर्सी पर सुन रही थी…
Author: Anupama Priyadarshini
वे मुस्काते फूल नहीं – मनीष कुमार शशि
वे मुस्काते फूल, नहीं जिनको आता है मुर्झाना, वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ जाना; वे नीलम के मेघ, नहीं जिनको है घुल जाने की चाह वह…
माँ का आंचल – रत्ना प्रिया
चाहता हूँ मैं रोज मुझे माँ ,लोरी गा के सुनाए | माँ की लोरी , माँ का आंचल , माँ की बातें भाए || अबोध शिशु की रक्षा को ,…
माॅ॑ – नीतू रानी
पितु सु माता सौ गुणा सुत को राखै प्यार , मन सेती सेवन करै तन सु डाॅ॑ट अरु गारि। इसका अर्थ। पितु सु माता सौ गुणा -यानि पिता से माता…
मनहरण घनाक्षरी- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
वृक्ष पुत्र के समान, रखें सभी नित्य ध्यान, शुद्ध वायु प्राप्त होती, बड़े-बड़े काम हैं। पत्ते हैं गुणकारक, छाया तो शांतिदायक , फूल हैं मनमोहक, सुखद ललाम हैं। देवों के…
मुकुट मोर का है – एस.के.पूनम
🙏कृष्णाय नमः🙏 विद्या:-मनहरण घनाक्षरी निशाकर सोच रहे, यामिनी से वह कहे, कर ले अँखियाँ बंद,दस्तक है भोर का। मयूख है अंबरांत, जगत है अभी शांत, जाग गए नभचर,गुंजन है शोर…
सीतासोहर- मनु रमण “चेतना”
सुन्दर सुभग मिथिला धाम से, पावन पवित्र भूमि रे। ललना रे जहां बसु राज विदेह, प्रजा प्रतिपालक रे। चकमक मिथिलाक मन्दिर, खहखह लागै गहबर रे। ललना रे सिया अइली धरती…
महात्मा बुद्ध- जैनेन्द्र प्रसाद रवि
संसार से नेह तोड़, ईश्वर से नाता जोड़, सिद्धार्थ से बन गए, बुद्ध भगवान हैं। धूप – ताप सहकर, भूखा प्यासा रहकर, वैशाख पूर्णिमा दिन, पाए आत्मज्ञान हैं। लुंबिनी में…
हाय हाय ये सरकार – निधि चौधरी
जातिगत गणना के….. .. सुन ल बयार हे.. ….. घर घर गइनी, आदमी गिननी, बीबी गिननी, बुतरू गिननी, गिननी मोटर कार। हाय हाय रे सरकार, अब त दे द पगार,…
मनहरण घनाक्षरी – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
शाक्य वंश जन्म लिए, सत्य धर्म भाव किए, तथागत बुद्ध हुए, कृतियाँ महान हैं। राजपाट त्याग कर, मूल कर्म झोली भर, ज्ञान बोधि वृक्ष पाए, दया के निधान हैं। जीव-…