आज पवन दिन है आया, राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाया, दही चुरा और तिल है लाया, गुड़ में मिलकर मन को भाया, सुख समृद्धि घर-घर में छाया, रिश्तों में मजबूती लाया,…
Author: Anupama Priyadarshini
आलू की असलियत कि इंसानी फितरत- नवाब मंजूर
( भोजपुरी तड़का ) आलू जवन लाल हो जाला कमाल हो जाला एकदमे गुलाल हो जाला फूल के गुलाब हो जाला सबका ईहे# सोहाला! उजरका ना भा#ला का त# ई…
प्रचंड ठंढ- ब्यूटी कुमारी
ठंढ़ है प्रचंड डस रहा बन भुजंग। बह रही सर्द हवा कांप रही है धरा। छाया घना कोहरा बह रही पछुआ हवा। रवि की किरण देखने तरस रहा है नयन।…
पिता एक संपूर्ण विकास प्रदाता- सुरेश कुमार गौरव
पिता एक अस्तित्व हैं जिसके रहने से स्थायित्व का बोध होता है घने वृक्ष की छाया में शांति का अनुभव होता है यानी दृढ़ स्थित प्रतिज्ञ कर्ता! धीरज ,धैर्य और…
अंगिका गीत- जयकृष्णा पासवान
दही चूड़ा चीनी आलूदम हो, हमरा नामन लगैय छै। नामन लगैय छै हमरा…२।। देखैल चलो मसूदन के द्वार- हो… हमरा नामन लगैय छै।। परबो तिहारो म पूजा-पाठ करला । देवीआरु…
चाहत – अमरनाथ त्रिवेदी
जीवन मे प्रेम का आधार हो , इसमें न छल व्यापार हो । न कालिमा -सी बात हो , न, छुपा रुस्तम आगाज़ हो । चरण पड़े जहाँ- जहाँ ,…
मकर संक्रांति- नीतू रानी
हे बहिना आय छीयै मकर संक्रांति त्योहार हे, चलअ खेबै दही चूड़ा लाय हे ना । आनबै बाजार सेअ तील, चुड़ा, गुड़ पौरबै दस- पंद्रह किलो दूध हे बहिना तिल…
मौसम का असर- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद दही-चूड़ा,तिल खा के, सूरज है अलशाया, कुहासे में दिखता है, धुंधला गगन है। पेड़ों की डालियों से शबनम टपक रही, बह रही मंद-मंद, शीतल पवन है। झरोखे…
मकर संक्रांति- संजीव प्रियदर्शी
स्वागत करें उत्तरायण रवि का हम सब मिलकर आज। और उड़ाएं नील गगन बीच पतंगों की परवाज। कहीं तिल की सौंधी सुगंध है, कहीं गुड़ की लाई। कहीं खिचड़ी, कहीं…
चुप्पी कलम की- गौतम भारती
कलम! तू क्यों चुप है ? कुछ तो बोल । इंसानों की इंसानियत पर बोल , काबिलों की काबिलियत पर बोल । बोल हुनरबाजों का हुनर भी, और फिर, हैवानों…