कड़ाके की ठंड है , ठंड बड़ी प्रचंड है । शीतलहर जारी है , हर पल सब पर भारी है। यह ठंड सबको सहना है, रजाई में ही रहना है।…
Author: Anupama Priyadarshini
हम लड़की है- रणजीत कुशवाहा
हमें किसी से भावानात्मक लगाव होता है, लेकिन आप लोग जिस्मानी समझ लेते हो। हम सोशल मीडिया पे आपके विचारों को पसंद करतें हैं । आप ये समझने लगते है…
माता वीणापाणि- कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
छोड़कर घर-द्वार,कर सबसे किनार, पढ़ने आए हम माँ,तप पूर्ण कीजिए। देकर ज्ञान का दान,माँ करो मेरा कल्याण, बन जाऊँ विद्यावान, शरण में लीजिए। जय माँ वरदायिनी, जय ज्ञान प्रकाशिनी, सफल…
लालची बाप- नीतू रानी
जिस माँ बाप को खाने का नहीं है औकात, उसे बच्चा पैदा करने का नहीं है अधिकार। जिस घर में पिता हो नशेवाज उस खानदान का सभी लोग भी होंगे…
नया साल- दीपा वर्मा
नया साल है, नई उमंगे, नई दिशाएँ। नई आशाएँ, मन में हिलोरें, मार रही है। ख्वाब जो अधूरी रह गई, मन की बात जो पूरी नहीं हुई है, आगे पलको…
लगाय छी माथो घुसो म – जय कृष्णा पासवान
ठंडा पड़ल छै पुसो म, लगाय छी माथो घुसो म। नौकरी में मंदा मत पूछो, पढ़ाई में धंधा मत पूछो।। आॅफिसो म चंदा मत पूछो, आरु नज़रों म अंडा मत…
नए साल में- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
सबकी चेहरे पर मुस्कान हो हर हाल में, सभी को मंजिल मिले, इस नए साल में। भूलकर शिकवे गिले, सभी से हम गले मिलें, दूरियाँ मिटे दिलों की, इस नए…
तू मेरी कली- डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
मैं बगिया हूँ तू मेरी “कली” माँ “तरू” है तू उसकी डाली, बड़े प्यार से तुझको सींचा है वह धरा की है सुंदर माली। तू”खिलना” जितना जी चाहे मत…
पहली बालिका शिक्षा मंदिर दात्री साबित्रीबाई फूले- सुरेश कुमार गौरव
तीन जनवरी अठारह सौ इकतीस को महाराष्ट्र के सतारा में एक विलक्षण गुणी प्रतिभा बालिका का अवतरण हुआ। माता-पिता ने सोच नाम उसका साबित्री भाई फूले रखा जैसे-जैसे बड़ी हुई…
बीत गई बात वो- एस.के.पूनम
विद्या-:- मनहरण घनाक्षरी जीवन का नवरंग,इंद्रधनुष-सा अंग, धरा पर छाया कण, मिल गया जात को। मुस्कुराया अंशुमन,तप गया मेरा मन, मुरझाये पुष्प धरा, तपिश से मात जो। सूरज लोहित मला,प्रकृति…