पढ़ने को नहीं दिल है करता, पर पढ़ना बहुत जरूरी है। सब हैं मुझसे आस लगाए, पर खेलना भी मजबूरी है।। खेलकूद में मन जब लगता, पढ़ने को तब जी…
Author: Dev Kant Mishra
कलम हमारी ताकत है – सुरेश कुमार गौरव
आओ बच्चों स्कूल चलें, ज्ञान की राह बढ़ते चलें। कलम उठाएँ, पुस्तक पढ़ें, सपनों को साकार करें। कलम हमारी ताकत है, पुस्तक से गूँजे ज्ञान सदा। इनसे सीखे जीवन…
प्रेम वही करता इस जग में- अमरनाथ त्रिवेदी
प्रेम वही करता इस जग में, जिसे मानवता से यारी है। आचरण है पशुवत जिसका, पृथ्वी पर जीना उसका भारी है। सचमुच कहूँ तो प्रेम ही जीवन, प्रेम …
दोहावली – रामकिशोर पाठक
शुभता मन में राखिए, लेकर प्रभु का नाम। मात-पिता के ही चरण, बसते चारों धाम।। शीश झुकाऍं ईश को, मन-दुविधा से हीन। धीरज से कारज करें, बदलें जीवन दीन।।…
सदाचार कुछ बचपन के – अमरनाथ त्रिवेदी
सदाचार कुछ बचपन के होते, इसे अपनाकर हम अवगुण खोते। माता-पिता के कुछ सपने होते, उसे पाने पर सब अपने होते। सारी दुनिया जल, माटी से गोल, दुनिया में …
सदाचार कुछ बचपन के – अमरनाथ त्रिवेदी
सदाचार कुछ बचपन के होते, इसे अपनाकर हम अवगुण खोते। माता-पिता के कुछ सपने होते, उसे पाने पर सब अपने होते। सारी दुनिया जल, माटी से गोल, दुनिया में …
बदलते गाँव की सूरत – अमरनाथ त्रिवेदी
भारत के गाँव अब सूने लगने लगे हैं । धड़ाधड़ दरवाजे पर ताले लटकने लगे हैं।। बच्चों की मस्ती है शहर घूमने की, बूढों की आह निकलती गाँव छोड़ने की।…
मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
घटाएँ गरजती हैं, बिजली चमकती हैं, सारा जग दिखता है, दूधिया प्रकाश में। रात में अंधेरा होता, बादलों का डेरा होता, चकाचौंध कर देती, दामिनी आकाश में। कोई होता लाख…
मेरी गुड़िया रानी बोल- नीतू रानी
मेरी गुड़िया रानी बोल, क्यों की है तुम चप्पल गोल। चप्पल रोज पहनकर आती, गोलाकार में उसे सजाती। गोल चप्पल के अंदर खड़ी है, लगती कोई छोटी परी है। तुम…
सर्दी – रामकिशोर पाठक
सर्दी का है मौसम आया घना कोहरा भी है छाया। सुबह-सुबह हीं हम जागें जल्दी से स्कूल हम भागें। ठंढे पानी से नहीं नहाना कर जाते हैं कोई बहाना।…