सूरज भैया सूरज भैया क्यों है तुम्हारे गाल लाल क्या मम्मी ने तुम्हें डाँटा है या पापा ने मारा तमाचा है? ये गुलाबी नहीं दिखते मुझको तुम्हारे अंगारों से…
Author: Dev Kant Mishra
अबला नहीं तू सबला हो- अमरनाथ त्रिवेदी
हजारों वर्ष घटी पूर्व की घटना, हा! कलियुग में भी जारी है। बहन, भतीजी, माँ ,भांजी की अब भी खींची जाती साड़ी है। हा! आज भी दानवता जग में…
दैनिक कार्य – गिरीन्द्र मोहन झा
सूर्योदय से पूर्व जाग उदित सूर्य संग क्रियाशील जीवन का आरंभ करना, पृथ्वी, सूर्य, गुरु और ईश्वर की थोड़ी उपासना अवश्य करना, योगाभ्यास, व्यायाम कर अपने शरीर को स्वस्थ…
हाँ ठीक हूँ मैं – डॉ. स्वराक्षी स्वरा
यदि श्रृंगार के पीछे दर्द छुपा कर जीना ही ठीक होना होता है तो, हाँ, ठीक हूँ मैं। यदि काजल की रेखा खींच आँसुओं की नदी के लिए बाँध…
सड़क सवारी और सुरक्षा – अमरनाथ त्रिवेदी
वादा करें अपने दिल से , न कभी गाड़ी तेज चलाएँगे। इससे जान जोखिम में पड़ती, बिना हेलमेट कभी न बढ़ाएँगे।। तेज चलाते हैं जब गाड़ी , तो उसके…
जीवन मार्ग – सुरेश कुमार गौरव
जीवन की ये कटु सच्चाई है कि असफलताओं के बिना प्रगति नहीं। चढ़ते-चढ़ते गिरकर फिर उठना, सँभलकर कदम आगे को बढाना। अनुशासन है जीवन की प्रगति, जो न माने…
वह मासूम-सी कली- मनु रमण
माता- पिता की दुलारी , भाई- बहनों की प्यारी। बड़ी मेहनत से थी वो पढ़ी , सब गुणों से खुद को गढ़ी। हासिल कर अपने लक्ष्य को , करना…
अविरल – शिल्पी
उम्र जो थी चुनने की भविष्य एक वह चुनता रहा कबाड़ बीनता रहा कचरा इतर किसी सुगंध-दुर्गंध के भेद के भांति किसी कर्मठ कर्मयोगी के। आशंका- अनुशंसा या किसी संशय…
गीता ज्ञान- ब्यूटी कुमारी
रणभूमि में धनुष त्याग रथ के पीछे बैठ गए अर्जुन। भगवान बोले नपुंसकता को त्याग युद्ध के लिए खड़ा हो जा अर्जुन। गोविंद से कह युद्ध नहीं करूँगा चुप हो…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
दिव्य पर्व जन्माष्टमी, प्रकट हुए घनश्याम। गले सुशोभित हार में, लगते हैं अभिराम।। भाद्र पक्ष की अष्टमी, मथुरा कारावास। कृष्ण लिए अवतार जब, छाया सौम्य उजास।। मथुरा कारागार जब, कृष्ण…