मातृ-भक्ति का मुझे मिला, जो प्रसाद नौनिहाल का, नूतन दिवस है मेरी प्रतिकृति के दसवें साल का। नन्हीं कली का मधु-स्पंदन, मेरी कोख में आया था, उस क्षण की अनुभूति…
Author: Dev Kant Mishra
रूप घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
यहाँ नाग पंचमी में, पूजे जाते नागदेव, शंकर पहनते हैं, बनाकर गले हार। स्वार्थ के हो वशीभूत, मदारी पकड़ते हैं, जहर निकालने को, लोग करते शिकार। अनेक शिकारी होते, इसके…
दोहावली – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
देवाधिदेव महादेव दया सिंधु शिव जी सदा,करते हैं कल्याण। जो भी आते हैं शरण,पाते वो वरदान।। बाबा भोलेनाथ को, पूजे जो नर-नार। पाकर नित आशीष को,करते निज भव पार।। सावन…
मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम
जलता है रात-भर, स्नेह भरा यह दीप, बुझ गया यादें छोड़, सविता के आने से। जल उठे साँझ ढले, बाती-तेल अवशेष, अंतर्मन जाग जाए, दीया जल जाने से। फलक को…
मैं था जो मैं हूँ वही – रवीन्द्र कुमार
मैं था जो मैं हूँ वही, चेहरा बदला,प्रण है वही, बढ़ते कदम,चलती साँसे, धड़कन की धक-धक में वही। मैं था जो मैं हूँ वही। जमाने की भीड़ में, मुखौटा…
वर्षा आई- गुड़िया कुमारी
वर्षा आई, वर्षा आई जीवन में खुशहाली लाई। टिप-टिप,टिप-टिप बरसा पानी, चली हवा जैसे मस्तानी।। नदी, तालाब, खेत और पोखर, भर गया है सब में पानी। धरती पर हरियाली छाई,…
वर्षा आई- गुड़िया कुमारी
वर्षा आई, वर्षा आई जीवन में खुशहाली लाई। टिप-टिप,टिप-टिप बरसा पानी, चली हवा जैसे मस्तानी।। नदी, तालाब, खेत और पोखर, भर गया है सब में पानी। धरती पर हरियाली छाई,…
पावन तीर्थ नगरी काशी – अपराजिता कुमारी
धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक प्राचीन मोक्षदायिनी सप्तपुरियों में एक लोक विश्व विख्यात बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा विश्वनाथ की अति प्रिय प्राचीनतम जीवंत नगरी काशी। शिव प्रिय,शिव नित्य विहार स्थली…
छंद: घनाक्षरी- एस. के. पूनम
खाली-खाली अंतर्मन, कैसे भरें ज्ञान कोष, यत्न करे हर कोई, कुछ ही सफल हो। लक्ष्य दिखें दूर सही, राह चुनें अनमोल, श्रम दान करते ही, पथ भी सरल हो। सदगुरु…
रूप घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
तूफां से न घबराते, अपनी मंजिल पाते, जीवन के डगर की, होती न आसान राह। चट्टानों पे बीज बोते, धुन के जो पक्के होते, बाधाओं के करते वो, कभी नहीं…