अपने मन की कीजिए, रखकर मन में चाव। औरों की वो मानिए, जो हो सही सुझाव।। सत्य वचन हीं बोलिए, रखकर मधुर जुबान। वैसा सत्य न बोलिए, जो करे…
Author: Dev Kant Mishra
सत्प्रवृत्ति के सोपान – अमरनाथ त्रिवेदी
कर्त्तव्य हमारे ऐसे हों नित , जहाँ मन की मलिनता न छाए। सदुपयोग, अधिकार का ऐसे करें , जहाँ अहंकार तनिक भी न आए। परहित धर्म कभी न छोड़ें ,…
देखो सानवी आई है – रामकिशोर पाठक
देखो सानवी आयी है। संग सहेलियाँ लायी है।। रंग दो माँ पाँव सभी का, लगे मनोहर भाव सभी का, प्रमा कहती हर्षायी है। देखो सानवी आयी है।। संग मुझे…
चिड़िया रानी – रूचिका
चूँ चूँ करती चिड़िया आती दाना-पानी कहाँ से लाती। क्या खाती और क्या वह पीती, बोलो बोलो कैसे वह जीती।। खेतों में, खलिहानों में, हरे-भरे मैदानों में, घर के आँगन,…
मम्मी दुनिया से निराली है – अमरनाथ त्रिवेदी
दुनिया चाहे कुछ भी कह ले मम्मी ही हमारी जान है। हर सुख-दुःख में साथ वह देती , मम्मी ही हमारी पहचान है।। मम्मी की बात मीठी होती, लगती हमें …
मेरे राम- स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
राम जप है, राम तप है, राम आदि अंत है। राम राग, राम त्याग, राम तो अनंत है। राम जप है, राम तप है, राम आदि अंत है। ज्ञान…
देवी माँ- कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
देवी माँ के असली रूप को भला कौन है जान पाया, जैसा जिसका भाव माँ ने उसको वैसा रूप दिखाया। जिस किसी ने भी मातारानी को जिस भाव से…
हरिगीतिका- रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
नवरात्रि में माॅं अन्नपूर्णा, रोहिणी कहलाइए। तू सात्त्विकी कल्याणकारी, चंडिका बन आइए।। काली त्रिमूर्ति महेश्वरी भव, भद्रकाली नाम हैं। आराधना करते सभी तो, लोग जाते धाम हैं।। संहार दैत्यों के…
कालरात्रि माँ- रूचिका
माँ कालरात्रि संकट दूर करो देवी त्रिनेत्री। रोग नाशिनी, दया करो माँ दुर्गे जग तारिणी। जय चामुंडा, साहस भर देती जग कल्याणी। अष्टभुजी माँ, चंड मुंड विनाशिनी आदि भवानी।…
विधाता छंद: एस. के.पूनम
चरण छूलूँ भवानी माँ, पनाहों में मुझे पाओ। महादेवी जगतजननी, मुझे तो छोड़ मत जाओ। सदा तुम कष्ट ही हरती, तुम्हारे पास जो जाता। मिटेगा पाप उसका भी, दया…