रंगभूमि कर्मभूमि, गोदान है वरदान, निर्मला मंगलसूत्र, दिया पहचान है। ईदगाह बूढ़ीकाकी, याद है पूस की रात, लिखे मानसरोवर, पढ़ना आसान है। भाषा-शैली है सरल, छिपाए हैं गूढ भाव, पाए…
Author: Dev Kant Mishra
मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम
रंगभूमि कर्मभूमि, गोदान है वरदान, निर्मला मंगलसूत्र, दिया पहचान है। ईदगाह बूढ़ीकाकी, याद है पूस की रात, लिखे मानसरोवर, पढ़ना आसान है। भाषा-शैली है सरल, छिपाए हैं गूढ भाव, पाए…
मनहरण घनाक्षरी- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
लमही में जन्म लिए, साहित्य की सेवा किए, ‘धनपत’ मूल नाम, से इनको जानिए। माता की आँखों के तारे, पिताजी के थे दुलारे, कर्म क्षेत्र लेखन ही, निज कर्म मानिए।…
मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम
रंगभूमि कर्मभूमि, गोदान है वरदान, निर्मला मंगलसूत्र, दिया पहचान है। ईदगाह बूढ़ीकाकी, याद है पूस की रात, लिखे मानसरोवर, पढ़ना आसान है। भाषा-शैली है सरल, छिपाए हैं गूढ भाव, पाए…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
रिश्ते डोरी प्रेम की, आए मन को रास। नेह सत्य सद्भावना, लाती नवल उजास।। रिश्तों को शुचिमय सघन, रखें बनाए आप। अपने निश्छल नेह की, छोड़ें गहरी छाप।। अपनेपन के…
रूप घनाक्षरी- एस. के. पूनम
गर्भ से प्रथम रिश्ता, स्वीकार है माता-पिता, पदार्पण धरा पर, और खुशियाँ बटोर। आँचल में छुप कर, दुग्ध सुधा रसपान, लोभ से होकर मुक्त, शिशु फिर भी चटोर। नटखट नंदलाला,…
मनहरण घनाक्षरी- रामपाल प्रसाद सिंह
आज बच्चों में उल्लास, छुट्टी मिली है जो खास, चकचक ताजिया है, भरे जो विश्वास से। हिंदुओं का गाॅंव प्यारा, घर एक दो दुलारा, उनके त्योहार में ये, भरे प्रेम…
रूप घनाक्षरी- एस.के.पूनम
नभ पर छाए मेघ, होने लगी बूंँदा-बाँदी, तृण को पोषण मिले, हरियाली चहुँओर। भर गए नदी-नाले, तृप्त हुए जीव-जन्तु, चातक भी तान छेड़े, जंगल में नाचे मोर। मिलेगा जीवन दान,…
रूप घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि
कोई यहाँ मौज करे, लाखों लूटा भोज करे, गरीबों की जिंदगी तो, काँटों के समान है। कोई तो दाने-दाने को, रहता है मोहताज, किसी को खाने में रोज़, पूआ…
हर वर्ष पेड़ लगाना है- रविन्द्र कुमार
प्रकृति के हैं रूप अनेक पेड़ है जिनमें से एक। ये जहाँ भी होता है, जीवन खुशियों से भर देता है।। धरा को यह हरित बनाए, भोजन को भी…