एक शिक्षक अपनी पूरी जिंदगी बच्चों के साथ बिताते हैं। खुद सड़क की तरह एक जगह रखते है पर विद्यार्थी को मंजिल तक पहुँचा देते हैं। कोई पेशेवर खिलाड़ी नहीं…
Author: Dev Kant Mishra
बेटी की विनती – दिव्या कुमारी
पापा खूब पढ़ाओ, आगे मुझे बढ़ाओ। शिक्षा का दीप जलाकर, पापा आप इतराओ।। पढ़ा-लिखा पैरों पर अपने, खड़ा मुझे कराओ। बेटी बोझ नहीं पापा की, दुनिया को समझाओ।। बेटी को…
छंद: गीतिका – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
बच्चों को सिखलाना होगा। सही मार्ग ले जाना होगा।। बच्चे तो हैं मन के सच्चे, यही कर्म दुहराना होगा। होते हैं मृदु माटी जैसे, कंचन धवल बनाना होगा। इनसे आलय…
मनहरण घनाक्षरी:- एस. के. पूनम
शीर्षक: कभी रथ खींचिए मंदिर की ओर चलें, मिलेगी जीने की राह, जय बोलो जगन्नाथ, नमन तो कीजिए। हजारों हैं तेरे नाम, अद्भुत हैं तेरे काम, उषाकाल नाम जपें, आशीष…
विधा- रूप घनाक्षरी: जैनेन्द्र प्रसाद रवि
किसान “”””””””””””””””” फसल बोने के पूर्व, खेतों की जुताई हेतु, सुबह ही चल देते, हल बैल ले के संग। हरियाली देख कर, चेहरे हैं खिल जाते, किसानों के हो जाते…
रूप घनाक्षरी- एस.के.पूनम
शुष्क ऋतु गया बीत, सीख गया कुछ रीत, वक्त की प्रतीक्षा कर, मत करना प्रहार। गगन में बदरी छाई, बारिश की बूंदें लाई, तप्त धरा भीग गई, ग्रीष्म को…
खुद मनुष्य बन, औरों को मनुष्य बनाओ- गिरीन्द्र मोहन झा
सदा कर्मनिष्ठ, सच्चरित्र, आत्मनिर्भर बनो तुम, जिस काम को करो तुम, उससे प्रेम करो तुम। नित नई ऊँचाई छूकर, सदा आगे बढ़ो तुम, यदि कर सको तो, जरुरतमंदों की मदद…
स्वर्ग और नर्क की कल्पना – नीतू रानी
स्वर्ग नरक कहीं और नहीं है इसी पृथ्वी पर सब। जरा सोचिए बैठकर, समय मिले एक पल तब।। इसी पृथ्वी पर जन्म लिए हैं ऋषि मुनि और संत। राम, कृष्ण,…
दोहावली-देव कांत मिश्र
दोहावली हे माता जगदम्बिके, तू जग तारणहार। अनुपम दिव्य प्रताप से, संकट मिटे हजार।। बढ़ना है जीवन अगर, चलिए मिलकर साथ। सारी दुनिया आपको, लेगी हाथों-हाथ।। बेटा है कुल दीप…