एक अद्वितीय कवि दिनकर केवल बातों पर ही बात नहीं, तथ्यों पर प्रखर रूप से बात करे। कवि वैसा हो जो यथार्थ धरातल पर, प्रखरता से दिल में उतर बरसात…
Author: Dev Kant Mishra
मेरी हर यात्रा- अवनीश कुमार
सुन री सखी-सहेली! वे राम बने, मैं मर्यादा की सीमा बनूँ, वे कृष्ण बने, मैं राधा की काया बनूँ, वे विष्णु बने, मैं उनकी हरिप्रिया बनूँ, वे शिव बने,…
बेटियाँ- मधु कुमारी
बेटा वंश तो वंश की नींव होती है बेटियाँ! दो कुलों की आन-बान-शान होती है बेटियाँ! कुदरत जब हो मेहरबां तो परियों के देश से आती है बेटियाँ! ईश्वर…
मेरी बेटियाँ- डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
मेरी बेटियाँ! मेरे प्रतिरूप, मैं बसती हूँ उनमें, अंतस्थ बिल्कुल अंदर, आद्योपांत सर्वांग, प्राणवायु की तरह। मेरी बेटियाँ! मुस्कुराहटों में, आशाओं में, बातों में, आख्यानों में, संवाद में,…
बेटियाँ- गिरीन्द्र मोहन झा
धन्य वह गेह, जहाँ खिलखिलाती हैं बेटियाँ, धन्य वह गेह, जहाँ चहचहाती हैं बेटियाँ, धर्म-ग्रंथ कहते हैं, गृह-लक्ष्मी होती बहु-बेटियाँ, सारे देवों का वास वहाँ, जहाँ सम्मानित हैं बेटियाँ, बेटी…
बेटी के सपने – अमरनाथ त्रिवेदी
बेटी के सपने की उड़ान को, अब कमतर कर नही तौलेंगे। बेटी सफलता की उड़ान है, उस पर कीचड़ नही उछालेंगे।। बेटा बेटी के अंतर को, अब पाटना बहुत जरूरी…
कब तक हार से डरते रहोगे – गुड़िया कुमारी
कब तक यूँ ऐसे बैठे रहोगे, कब तक हार से डरते रहोगे। कदम आगे बढ़ाना होगा, अगर लक्ष्य को पाना होगा। हार-जीत का खेल भी होगा, साहस तुम्हें दिखलाना…
कहाँ गए वो दिन – अमरनाथ त्रिवेदी
कहाँ गए वो दिन ? जिसकी दास्तां इतनी करीब थी । थे लोग प्यार में ऐसे पगे , जहाँ हर खुशियाँ नसीब थीं।। प्यार के हर बोल पर , मिटती…
सुन री सखी- अवनीश कुमार
सुन री सखी! यदि वे मुझसे कह न पाते, लिख कर ही अपनी व्यथा छोड़ तो जाते। विश्वास के बंधन बाँध तो जाते, सखी काश ! वे मुझसे अपनी व्यथा…
भगवान विश्वकर्मा- अमरनाथ त्रिवेदी
सजी धजी यह धरा सुहानी , कितनी प्यारी लगती है। विश्वकर्मा जी की कृपा मात्र से , यह छटा निराली लगती है।। अभियंता का काम जगत में, यह अभियंता ही …