वन हैं धरती की पहचान – सुरेश कुमार गौरव

वन हैं जीवन की पहचान, इनसे धरती रहे महान। शुद्ध हवा औ’ निर्मल पानी, इनसे हरियाली मुस्कानी।। पंछी गाते मीठे स्वर गान, वन देते सबको वरदान। फल-फूलों की यह सौगात,…

होली सबकी प्यारी है- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

आओ स्नेहिल रंग उड़ाओ, पावन होली आई है। बच्चे बूढ़े नर नारी पर, कैसी मस्ती छाई है।। सुंदर है बच्चों की टोली, सबके कर पिचकारी है। गली-गली में शोर मचा…

होठों पर मुस्कान सजे हर बार होली में – रूचिका

नफरतों का गुबार मिट जाए न हो तकरार होली में, प्रेम के सुंदर फूल खिल जाएँ हो इकरार होली में। धरा हो रंगीन, अम्बर भी लगता हसीन, रंगीन हो सारे…

आया रंगों का त्योहार – अमरनाथ त्रिवेदी

आया रंगों का त्योहार, छाई हैं खुशियाँ हजार। होली उत्सव है रंगों की, जीवन धन्य भी करती। पुआ, खीर, गुझिया से, है हम सबका मन भी भरती। समझ के खेलें रंगों का त्योहार,…

रंगोत्सव की राधा- रसधारा- सुरेश कुमार गौरव

बरसाने की गलियों में, आज खिला है रंग, बृज की माटी महक रही, प्रेम भरा है संग। राधा संग गोविंद खेले, स्नेह भरा है फाग, गुलाल-गुलाबी उड़ चले, छेड़ें प्रेम…

होली का त्योहार है अनुपम- अमरनाथ त्रिवेदी

सब मिलकर हम गाना गाएँ, होली पर्व  खूब  मनाएँ। नई उमंग के नए दौर में, जरा मन से  मैल भगाएँ। आज नहीं कोई ऊँचा नीचा, खेलें  दिल   से   होली। सबके  वसन  भींगे  होते हैं, हर हाथ में होती  झोली। अपनों संग…

केसर हो जाइए- विधा- मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक

इस बार की होली में, मधु रस हो बोली में, प्रेम लाली ले झोली में, गले से लगाइए। लाल पीले होते नहीं, धैर्य कभी खोते नहीं, गुलाबी रंग होठ से,…