माँ! केवल माँ नहीं है वो, घर का दीया है, दीये की बाती है, चूल्हे की आग है, तवे की रोटी है, घर का द्वार है, द्वार की चौखट…
Author: Dev Kant Mishra
प्यासा कौवा – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
भीषण गर्मी का एक दिन था सूरज चमक रहा था सिर पर। गर्म हवा के झोंकों को, झाँक रही धरती फट-फट कर।। तभी पेड़ों की एक शाखा पर कौवा…
तितली रानी – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
तितली रानी! तितली रानी! लगती हो तुम बड़ी सयानी।। रख लो तुम आँखों में पानी, नहीं करो अब तुम मनमानी।। रंग-बिरंगे पंख सलोने, मन को अति प्यारे लगते हैं। फूलों…
दादी का हलवा- रामकिशोर पाठक
अम्मा हलवा बना दो न। दादी को खिला दो न।। देखो शाम हो आई है। दादी को भूख सतायी है।। दादी को है दाँत नहीं। रोटी चबा पाई नहीं…
दादी का हलवा- रामकिशोर पाठक
अम्मा हलवा बना दो न। दादी को खिला दो न।। देखो शाम हो आई है। दादी को भूख सतायी है।। दादी को है दाँत नहीं। रोटी चबा पाई नहीं…
भावना बालमन की -अमरनाथ त्रिवेदी
दादी हैं खुशियों के खजाने , दूध , मलाई देती हैं। हम हैं उनके पोता, पोती, हमें गोदी में उठा लेती हैं। मम्मी का जब गुस्सा आता, दादी ही हमें …
अनोखा व्रत करवा चौथ – अमरनाथ त्रिवेदी
करवा चौथ का व्रत, हर वर्ष में एक बार आता है । सुखद स्मृतियों के सुभग तान से, यह जीवन धन्य कर जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में…
करवा चौथ- रत्ना प्रिया
सुख, समृद्धि, सौभाग्ययुक्त यह करवा-चौथ त्यौहार है, दांपत्य के मधुर प्रेम का, प्रेम पूर्वक उपहार है। गणेश, गौरी का पूजन करके, रजनीपति को ध्यायें हम, विघ्नहर्ता को शीश झुकाकर सुख-सौभाग्य…
मेरे दोस्त – संजय कुमार
ये कैसे दोस्त हैं मेरे मुझे बूढ़ा होने नहीं देते सभी दूर हैं मुझसे कोई नहीं है आस-पास। पर सभी जुड़े हैं एक दूसरे से मोतियों की माला की तरह…
शरद पूर्णिमा- रामकिशोर पाठक
पूनम की रात शीतल चाँदनी फैलाए अंतिम रात्रि आश्विन शरद पूर्णिमा कहलाए घर में माताएँ क्षीर खीर बनाए। पूनम की रात शीतल चाँदनी फैलाए। सुधाकर चंद्र निशाकर बारंबार गुहार…