उमड़- घुमड़ कर बरसो बादल केवल बादल नहीं बरसात भी हो , प्रचंड गर्मी पर आघात भी हो । कुछ हवा चले खूब पानी हो , इसमें हम बच्चों की…
Author: Ram Kishor Pathak
कोयल – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
कोयल कोयल भोली भाली है, बोली बहुत निराली है। श्याम सलोनी प्यारी है, धुन तेरी मतवाली है। तेरी बोली सुनने को, मन अधीर हो जाता है। नही सुनूँ जो तुमको…
गर्मी छुट्टी मना रही हूॅं – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान ‘
गर्मी छुट्टी मना रही हूॅं। इतनी है आसान पढ़ाई, कर लो माते बड़ी भलाई, संग ककहरा आकर सीखो, सीखी नहीं त बोलो न। बचे समय मुख खोलो न।। जब बैठी…
गौ माता को हम-सब जानें – राम किशोर पाठक
गौ माता को हम-सब जानें – बाल कविता दुग्ध, क्षीर, पय, गोरस लाना। स्तन्य, पीयूष, दोहज जाना।। सुधा, सोम हीं सुर को भाए। देवाहार यही कहलाए।। जीवनोदक, अमृत भी कहते।…
पितृ दिवस – पूजा कुमारी
पितृ दिवस काश मैं भी महसूस कर पाती, पितृ दिवस मेरे हिस्से कभी न आई। वो प्यार भरी बातों को, वो दुलार, वो स्नेह, काश मैं भी महसूस कर पाती,…
Father – Ashish Kumar Pathak
Father Never ever wears a crown makes us feel like a king Weaves a world around us with every possible small thing Our world just lits up When someone says…
पिता व्योम के तुल्य हैं – विधा दोहा – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
विधा – दोहा पिता व्योम के तुल्य हैं “”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” पिता व्योम के तुल्य हैं, पिता सृष्टि विस्तार। जीवन दाता हैं पिता, विटप छाँव भंडार।। नयन सितारे हैं पिता, श्रेष्ठ सुघड़…
पिता – गिरींद्र मोहन झा
पिता परमपिता परमेश्वर हैं, हम सब उनकी संतान, उन्हीं की अनुकम्पा से, हम सब सदा क्रियमाण । सबसे पहले परमपिता परमात्मा को प्रणाम, उन्हें वन्दन, उनका स्तवन, पुण्यप्रद उनके नाम।।…
पिता – रुचिका
पिता पिता गहरी काली तमस में बनकर आते हैं प्रकाश। उनसे जुड़ी हुई है मेरे जीवन की हर आस। वह जेठ की भरी दुपहरी में आते हैं बनकर हवा का…
रोको! रोते भगवान हैं – उज्जवला छंद – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान ‘
रोको!रोते भगवान हैं।। मात पिता मेरे पास हैं। रखते वे मुझसे आस हैं।। कहते हैं वे ऐसा करो। सचमुच लांछन से डरो।। गहराई लेकर बोलते। शब्दों को वे हैं तोलते।।…