आधुनिक परिवार आधुनिक परिवार का हो गया है कैसा हाल, सब रहना चाहते अपने आप में सिमट कर खुशहाल। अब बूढ़े माता-पिता भी लगते है दूर के रिश्तेदार, यही है…
Author: Vijay Bahadur Singh
दामन-विजय सिंह “नीलकण्ठ”
दामन प्रभु का दामन पकड़ पकड़ कर हम सब भू पर आते हैं लेकिन भू पर आते हीं सब अपनों में खो जाते हैं। आने से पहले वादा करते कभी…
जगजननी माँ-मनु कुमारी
जगजननी माँ जिससे बंधी खुशियाँ मेरी, जिससे मँहके सारा जहाँ, सबसे अच्छी, सबसे न्यारी, है वो मेरी प्यारी माँ! स्नेहमयी, आनंदमयी, वात्सल्यमयी तेरी गोद ओ माँ, जिसके आगे फीकी पर…
हमारा स्कूल-नसीम अख्तर
हमारा स्कूल यह हमारा स्कूल है, देता हमें सुकून है। प्रतिदिन समय से हम सब स्कूल में पढ़ने को जाते है, मध्यांतर के बाद हम सब टिफिन खोलकर खाते हैं।…
इमान हो ऊँचा-ब्रजराज चौधरी
इमान हो उँचा उँचे भवन बना न सको तुम, पर तेरा इमान हो उँचा। ऐसा कोई काम न करना, जिससे तेरा सर हो नीचा। उँचे भवन बना न सको तुम;…
वह जो वतन पर कुर्बान हो गए-अपराजिता कुमारी
वह जो वतन पर कुर्बान हो गए वह जो वतन पर कुर्बान हो गए, आँखें नम और आवाम को जुबां दे गए, वतन पर सदके, जो अपनी जान दे गए,…
पानी-जैनेन्द्र प्रसाद “रवि”
पानी पानी की है बात निराली, इससे दुनियाँ में हरियाली। इसके बल पर दुनियाँ में, सजती है लोगों की थाली। पानी से ही आग बुझाते, खेतों में हम फ़सल…
धरती माँ-सूर्य प्रकाश
धरती माँ धरती माँ है बड़ी महान, सबको मानती अपनी संतान I कष्ट हजारों सहती है, हमसे कुछ ना कहती हैं। लालन पालन करती है माँ, पेट हमारा भरती है…
संयुक्त परिवार-मनोज कुमार दुबे
संयुक्त परिवार घर के आंगन में जो खुशियाँ हमने पायी है। वक्त वो शायद बीत गया जो हमने बिताई है।। दादा जी के कंधे पर अपनी थी सवारी। मेरी दादी…
रामचरित-राजेश कुमार सिंह
चौदह कलाओं वाले सीतापति का रामचरित मेरे आराध्य देव मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं। रघुकुल शिरोमणि निश्छल और निष्काम हैं।। पिता दशरथ और माता कौशल्या के दुलारे हैं। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न…