जिंदगी का सार यूं ही कभी आसमाँ को निहारते, देखा मैंने, शाम के धुंधलके में, चाँद का निकलना, शुभ्र, धवल, चमकता चाँद, आभा बिखेरता किसी, देवता के समान, यूं ही…
Author: Vijay Bahadur Singh
कैद हो गई जिन्दगी-प्रीति कुमारी
कैद हो गई जिन्दगी कैद हो गई जिन्दगी, यूँ ही समय व्यतीत हो रहा, ऐसा लगता है मानो, दुर्गम है यह रास्ता। सभी लोग हैं डरे हुए, सहमें और सिमटे…
तन माटी का एक खिलौना-रानी सिंह
तन माटी का एक खिलौना जन्म-मरण का फेरा यारों चलता बारंबार यहाँ तन माटी का एक खिलौना टूटा कितनी बार यहाँ। लिया जन्म जो मृत्युलोक में उसको तो जाना होगा…
The mind we love-Ashish kumar pathak
The mind we love The mind we love must have wild places an overgrown and unending little wood, tangled orchards, the chance of lions in front, mysterious snakes a few,…
बचपन-प्रियंका दूबे
बचपन जीवन का आरंभ है ये भविष्य की बुनियाद है ये बचपन है जिसका नाम नहीं है सबके लिए आसान। स्वपनिल आँखो में सुन्दर जीवन की आस लिए, नन्हे कदमों…
नौनिहाल भारत माँ के-अंजलि कुमारी
नौनिहाल भारत माँ के नौनिहाल भारत माँ के विद्यालय में पढ़ने आते हैं । बनकर पथप्रदर्शक हम शिक्षक उनका भविष्य गढ़ने आते हैं ।। हर वर्ग से हर समुदाय से,…
चेतावनी-संजीव प्रियदर्शी
चेतावनी अभी जाकर अहसास हुआ है अपनी औकात एक अदना-सा विषाणु अपनी गिरफ्त में ले लेने को उतारु है उस सभ्यता को जो विजय पाने का दंभ भारती रही है…
दीपक-नूतन कुमारी
दीपक मनन-चिंतन करों बच्चों, यह दीपक कैसे जलता है, फ़िज़ा को यह करें रौशन, तले अंधेरा रहता है। हरेक मौसम, हरेक बेला, तमस को दूर करता है, तिमिर को शोख़…
माँ कहाँ-अमृता सिंह
माँ कहाँ है राहें वही, वही पगडंडियाँ। जिनमे रहते थे तेरे पैरों के निशां उन निशानों में मैं तुझको ढूंढा करूँ मेरी माँ तू कहाँ है? कहाँ है? कहाँ? है…
शून्य में भी शब्द तुम हो माँ-मनु कुमारी
शून्य में भी शब्द तुम हो माँ तुम सा कोई नहीं इस जहाँ में, तुम हो ममता की मूरत। मेरे हृदय में बसी है, माँ तुम्हारी प्यारी सूरत। तुम हीं…