खाना पचता पेट मेंं-डॉ. स्नेहलता द्विवेदी आर्या

खाना पचता पेट में खूब चबाओ मुँह हिलाओ, सन जाये अब लार में। पाचन शुरू कराए टाईलिन , गले के ऊपरी भाग में। नीचे गले से होकर सुनलो, खाना पहुँचा…

आँखें-एस. के. पूनम

आँखें आँखों से बहते आँसू, कहता है एक अफसाना, गमों का दौर हो या, खुशियों के चंद लम्हें, आँखों से शबनम की बूंदें जैसी, गिरती है रुखसारों पर। ये आँखें!…

मॉं-प्रियंका कुमारी

मॉं छोटे-छोटे कदमों से चलना तू हमें सिखलाती, खुद पीछे रहकर, आगे हमें बढ़ाती, जब मैं छोटी थी तब तू बिस्तर पर अकेली छोड़ जाती, तुझे आसपास न देखकर, मैं…

हर जंग जीते हैं जीतेंगे इसे-संजीव प्रियदर्शी

हर जंग जीते हैं जीतेंगे इसे वक्त के मिजाज को यूं भांप रखो घर से बाहर‌ चेहरा ढांक रखो। अभी साथ-साथ रहना ठीक नहीं हर वक्त दो गज दूरी माप…

पेड़ लगाएं-नूतन कुमारी

पेड़ लगाएं आओ मिलकर पेड़ लगाएं बीमारी को दूर भगाएँ, नित दिन करें हम इसका भान, तभी है संभव जगत कल्याण। अगर पेड़ तुम काटोगे तो आक्सीजन कहाँ से पाओगे,…