जय माता दी ऐसी सद्बुद्धि हमें देना माता, मन में भावना गलत न आए हर बुराई दूर ही रहे हम से, लोभ मन में कभी भी न आए। ऐसी सद्बुद्धि…
Author: Vijay Bahadur Singh
शिक्षक सेवक है-अशोक प्रियदर्शी
शिक्षक सेवक है शिक्षक सेवक है, सृष्टि के बारे में बताने का उस शिक्षक को नमन है। शिक्षक सेवक है अपनी मां का, उस शिक्षक को नमन है। शिक्षक सेवक…
मां शेरावाली-अशोक कुमार
मां शेरावाली तेरे द्वार पर आया, मां शेरावालिये। मेरी बिगड़ी बना दे, मां ज्योतावालिये।। आएं तेरे धाम माता, पैरों से चला नहीं जाता। मुझ में तुम शक्ति भर दे, काया…
चिड़ियाँ का घर-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
चिड़ियाँ का घर नन्हे-नन्हे “तिनके” लेकर जाती कहां हो बोलो उड़कर, सुबह से शाम तक चुनती हो तुम चिड़िया रानी फुदक-फुदक कर। तेरे तिनके की “गठरी”को जहां कहोगी मैं रख…
वीर बांकुड़ा कुंवर सिंह-अपराजिता कुमारी
वीर बांकुड़ा कुंवर सिंह आज बिहार के वीर बांकुड़ा का विजयोत्सव सब मिलकर मनाते हैं, वीर बांकुड़ा केसरी कुंवर सिंह की गर्जना को फिर से याद करते हैं। बांध मुरैठा…
शब्द पुष्पांजलि-अर्चना गुप्ता
शब्द पुष्पांजलि हे साहित्य विभा के किरीट विशाल ! अंतस्तल समाहित जाग्रत भाव ज्वाल, है रस-छंद-ताल की प्रवाहित निर्झरणी भाव विशुद्ध अंतस, ज्यों नवल प्रवाल..। हे परमात्म ब्रह्म के अंश…
मनु के दोहेे-मनु रमण चेतना
मनु के दोहे मनु शतरूपा तप किये, ध्यान धरे वह ईश। बोलो क्या वर दूं तुम्हें, प्रकट हुए जगदीश।। सोना चांदी कुछ नहीं, नहीं रतन धन खान। तुम जैसा हीं…
अम्बे कण मन में बसती हो-स्नेहलता द्विवेदी आर्या
अम्बे कण मन में बसती हो चमक असुर भयाक्रान्त हुआ, सज्जन साधु मन शांत हुआ। माँ साध्वी परम् तू तेजोमय, चन्द्रघण्टा भगवती मान हुआ। प्रेम स्नेह रसधार सहित, अम्बे कण…
हंस किसका-सुधीर कुमार
हंस किसका बड़ी सुहानी सुबह थी उस दिन, खिले हुए थे फूल वहां। शीतल मन्द पवन थी बहती, थे घूम रहे सिद्धार्थ जहां। तभी एक हंस रोता चीखता, गिरा सामने…
आज ये सोचें-संगीता कुमारी सिंह
आज ये सोचें हम कहाँ हैं? आज ये सोचें, हम यहाँ क्यों हैं? आज ये सोचें, हर गली, हर मोड़ पर, खड़ा है कोरोना, बच्चों की किलकारियां कहाँ हैं? आज…