भूला नहीं हूं
बाल्यावस्था की शरारत भूला नहीं हूं,
माता-पिता की आंखों में प्रसन्नता के अश्रु भूला नहीं हूं,
किशोरावस्था का उतार-चढ़ाव भूला नहीं हूं,
काम, क्रोध, मद लोभ, मोह और मत्सर ने भले ही, मुझे दिग्भ्रमित किया,
परंतु अपने लक्ष्य को भूला नहीं हूं,
सामाजिक कुरीतियों ने भले ही,
पथ में कांटे बिछा दिए, परंतु अपने दृढ संकल्प को भूला नहीं हूं,
मानसिक दबाव ने भले ही,
कुछ समय के लिए ग्रहण लगा दिया,
परंतु आत्म सम्मान भूला नहीं हूं।।
प्रस्तुति
बैकुंठ बिहारी
स्नातकोत्तर शिक्षक कम्प्यूटर विज्ञान उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहोड़ा गद्दी कोशकीपुर
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