बलहीनन का बस पीड़ हरो-रामपाल प्रसाद सिंहअनजान 

हम जान रहे कर क्या सकते, तुम तो न मुझे इनकार करो।

शुभ कर्म किए शुभ धर्म किए,मम श्वेत मकान मत कार करो।।

चरणों पर मैं नत हूॅं कब से,प्रभु जी अब तो उपकार करो।

बस केवल है मम चाह यही,झटसा भव सागर पार करो।।

कुछ पाप कपाट प्रवेश करें,मन अंतस में शुभ सार भरो।

जब काम असंभव को करते,मम संभव को मत काट करो।।

जब दानव मानव मार रहे,तुम क्यों कर धीरज धार धरो?।

तज दो बलवान मनुष्य यहाॅं,बलहीनन का बस पीड़ हरो।।

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रामपाल प्रसाद सिंहअनजान 

प्रभारी प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दरवेभदौर

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