बेटी हूँ मैं बेटी
बेटी हूँ मैं बेटी! मुझको भी तू जीने दे,
मत मार मुझे अपने कोख में।
इस दुनिया में मुझको भी सांसे लेने दे।।
मैं भी हूँ तेरे प्यार की निशानी ,
मत समझ तू मुझको अपनी परेशानी,
मुझको भी तू अपनी ममता की धार में सींच जाने दे।
बेटी हूँ मैं बेटी! मुझको भी तू जीने दे।।
अपनी मन की बात यू मन में ही न रहने दें।
कुछ तू भी दिल की कह मुझसे,
कुछ मुझे भी दिल की कहने दे,
बेटी हूँ मैं बेटी !मुझको भी तू जीने दे।।
मत डर तू इस समाज से,
जिसे जो कुछ कहना हैं उसे कहने दे ,
आने वाले वक्त पर तू यह सब कुछ छोड़कर रहने दे।
बेटी हूँ मैं बेटी! मुझको भी तू जीने दे।।
पापा को कहना मैं उसका मान बढाऊँगी,
मुझको भी तू अपनी पहचान बनाने दे,
रख विश्वास मुझपर, तू ऐसा कर जाने दे ।
बेटी हूँ मैं बेटी ! मुझको भी तू जीने दे ।।
समाज बेटे को तो मौका देते ही है,
तू अपनी इस बिटिया को भी एक मौका दे,
बेटी हूँ मैं बेटी! मुझको भी जीने दे,
मत मार मुझे अपनी कोख में।
इस संसार में मुझको भी तू सांसे लेने दे।।
प्रियंका कुमारी
प्राथमिक विद्यालय रहिया टोल मलहरिया
बायसी पूर्णिया बिहार