कुण्डलिया तन्हा-तन्हा है आज-कल, यहाँ सकल संसार।कारण इसका क्या भला, करिए जरा विचार।।करिए जरा विचार, कभी खुद को भी झाँके।बना बहाना काम, नहीं औरों को ताके।।होते सभी समान, नहीं कोई…
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रचना- कुंडलिया – राम किशोर पाठक
रचना – कुंडलिया रचना मनहर हो तभी, दे सुंदर संदेश। मात शारदे की कृपा, भरती भावावेश।। भरती भावावेश, शब्द शुभ अंतस आते। लिखना हो आरंभ, पूर्ण सहसा हो जाते।। मौन…
देव दिवाली…राम किशोर पाठक
कुंडलियां देव दिवाली आज है, जगमग सारे लोक।पावन क्षण है आ गया, हरने सबके शोक।।हरने सबके शोक, देव नारायण आते।गंगा में कर स्नान, पाप सारे कट जाते।।आलोकित सुरलोक, लगे भूलोक…
वंदनवार सजे शारदा – कुंडलिया छंद – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
पेड़ लगा मां के नाम से, होंगे जग में नाम। उनके ही नेपथ्य में, पाना चिर विश्राम।। पाना चिर विश्राम, जगत में स्वर्ग मिलेगा। श्रम सुंदर तालाब के, पंक में…
अफवाहों के दौर में – राम किशोर पाठक
छंद – कुण्डलिया अफवाहों के दौर में, रहिए ज़रा सतर्क। दिल से करके देखिए, मिलता क्या है तर्क।। मिलता क्या है तर्क, कभी पूछो अपनों से। जीवन का उत्सर्ग, रुके…
कुंडलिया- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
माता की आराधना, करो सदा प्रणिपात। अंतर्मन के भाव में, भरो नहीं आघात।। भरो नहीं आघात, कर्म को सुंदर करना। मन की सुनो पुकार, पाप को वश में रखना। पढ़कर…
पुस्तक-देव कांत मिश्र
पुस्तक पुस्तक देती ज्ञान है, करो सदा सम्मान। पढ़े इसे जो मन सदा, पाए अभिनव ज्ञान।। पाए अभिनव ज्ञान, इसे नित मन में लेखो। करें सभी गुणगान, सदा तुम करके…