विधाता छंद- एस. के. पूनम

  कहे गोविंद श्यामा से, मिलूँगा मैं अकेले में। कही राधा अनंता से, पडूँगी ना झमेले में। सदा से ही सखी वृंदा, अजन्मा की दिवानी है। नयन भींगे हृदय बिंधे,…

मनहरण घनाक्षरी- रामपाल प्रसाद सिंह

उपदेश देकर जो, जिंदगी सवार लेते, बेचकर निज कर्म, सहज बनाते हैं। दुनिया को कहे फिर, ,बेकार हैं मोती हीरे, खुद छिप-छिपकर, कुबेर सजाते हैं। उजाला में सत्य जब, नंगा…

गीत- रामपाल प्रसाद सिंह

आज जयंती है दिनकर की, अपनी रचना लिखकर गाओ। जिसने लिखकर समय को मोड़ा, उनकी रचना सुनो सुनाओ।। विषम काल में जीवन पाकर, निर्भयता से लिखना सीखें। बीत गए दशकों…

विधाता छंद – एस. के. पूनम

सहज हिंदी सरल भाषा, धरातल भी दिवाना है। कहीं बिंदी कहीं नुक्ता, जमाना भी पुराना है। चलीं कलमें जगी आशा, कुशलता को बढ़ाना है। थकी हिंदी गलत सोचा, समग्रता को…

दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

हिंदी अमरतरंगिनी, जन-जन की है आस। सच्चे उर जो मानते, रहती उनके पास।। हिंदी भाषा है मधुर, देती सौम्य मिठास। शब्द-शब्द से प्रीति का, छलक रहा उल्लास।। जन-जन की भाषा…

मनहरण घनाक्षरी- रामपाल प्रसाद सिंह

भाद्रपद शुक्लपक्ष, धन्य हे सुलक्ष्य लक्ष, वक्रतुंड महाकाय, चरण पखारते। कोमल- कोमल दूर्वा, मोदकम मोतीचूर्वा, मूषक वाहन बीच, लाल ही स्वीकारते। लाल वस्त्र लाल फूल, रक्त चंदन कबूल, नारियल संग…

दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

दिव्य पर्व जन्माष्टमी, प्रकट हुए घनश्याम। गले सुशोभित हार में, लगते हैं अभिराम।। भाद्र पक्ष की अष्टमी, मथुरा कारावास। कृष्ण लिए अवतार जब, छाया सौम्य उजास।। मथुरा कारागार जब, कृष्ण…

श्री कृष्ण-चरित-माला- हर्ष नारायण दास

ॐ श्री पुरुषोत्तम स्वामी। सर्वातीत सर्वघट-गामी।। निर्गुण मायारहित अनन्ता। मायाधीश सगुण भगवन्ता।। परम दयामय लीलाधारी। पृथिवी-भार-हरन अवतारी।। भव-दुख-भंजन, दुष्ट-विनाशी। बन्दीगृह निज रूप विकाशी।। बन्दीसुत बन्धक-दल-गंजन। वासुदेव श्री देवकीनंदन।। नन्दकुमार यशोमति-लाला।…