मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

घटाएँ गरजती हैं, बिजली चमकती हैं, सारा जग दिखता है, दूधिया प्रकाश में। रात में अंधेरा होता, बादलों का डेरा होता, चकाचौंध कर देती, दामिनी आकाश में। कोई होता लाख…

मनहरण घनाक्षरी- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

निपुण का भाव भर, पहुँच प्रदान कर, बुनियादी ज्ञान से ही, बच्चों को जगाइए। संख्या की समझ लाएँ, प्रतिपुष्टि गुण पाएँ, लेखन की सौम्यता भी, सतत बढ़ाइए। संक्रिया गणित नित्य,…

मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

विद्यार्थी जो जीवन में करते न मेहनत, सदा पग-पग पर, भोगें खामियाजा हैं। दुनिया में कई लोग कर्ज में हैं डूबे हुए, जीने का तरीका देख, लगे महाराज हैं। संतति…

दोहावली- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

  मन में सोच-विचार कर, करिए नव संकल्प। जीवन में सद्भावना, कभी नहीं हो अल्प। दान-पुण्य की भावना, हो जीवन का मर्म। कष्ट मिटाकर दीन का, करिए सुंदर कर्म।। भरें…

दोहावली – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

रखें शिष्य के शीश पर, गुरु आशिष का हाथ। तिमिर सर्वदा दूर हों, पथ आलोकित साथ।। विद्यालय है ज्ञान का, परम सुघर भंडार। छात्र सदा पाते यहाँ, एक नया संसार।।…

छठ- महिमा – रत्ना प्रिया

सुर संस्कृत में छठ-महिमा, सब मुक्त कंठ से गाते हैं। तब सविता के प्रखर प्राण को, आत्मसात् कर पाते हैं।।   शुचि, आहार-विहार नीति का, पालन इसमें होता है, फिर…

दोहावली – रामपाल सिंह ‘अनजान’

प्रात काल वो सूर्य को, करती प्रथम प्रणाम। सूर्य देव आशीष दें, रहे सुहाग ललाम।। प्रातकाल से है लगी, सजा रही है थाल। अमर सुहाग सदा रहे,सुना रही है नाल।।…

शरद पूर्णिमा- रामकिशोर पाठक

  पूनम की रात शीतल चाँदनी फैलाए अंतिम रात्रि आश्विन शरद पूर्णिमा कहलाए घर में माताएँ क्षीर खीर बनाए। पूनम की रात शीतल चाँदनी फैलाए। सुधाकर चंद्र निशाकर बारंबार गुहार…