हाथ बढ़ा प्रभु मंगल दीजै – कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

है अति बेकल नैन हमारे। दर्शन को प्रभु राम तुम्हारे।। देकर दर्शन काज सँवारें। नाथ हमें भव से अब तारें।। थाल सजाकर मैं प्रभु आई। पूजन पूर्ण करो रघुराई।। हाथ…

वेदमाता भवानी – कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

करूँगी सदा वंदना मैं तुम्हारी, भवानी सुनो प्रार्थना है हमारी। बना दो विवेकी हरो अंधियारा, पुत्री हूँ तुम्हारी बनो माँ सहारा। मिटा दो भवानी अज्ञता हमारी, करूँगी सदा वंदना मैं…

वीणा की झंकार – रत्ना प्रिया

प्रकृति के मनोहर आँगन में, वसंत की बहार है, वागेश्वरी के वीणा की, गूँजती झंकार है। श्वेत पद्म व श्वेत वस्त्र हैं, श्वेत वाहन धारती, नीर-क्षीर-विवेक प्राप्त जो सदभक्तों को…

मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक

अंडाकार पथ पर, ग्रह लगाते चक्कर, सूर्य रहता केन्द्र में, परिक्रमा मानिए। सूर्य की पृथ्वी चंद्रमा, करे सदा परिक्रमा, तीनों सरल रेखा में, ग्रहण बखानिए। बीच में जो पृथ्वी आए,…

दोहावली- मनु कुमारी

अमर रहे गणतंत्र यों, जैसे सूरज चान। जन-जन का सम्मान ये, सबका है अभिमान।। संविधान से है मिला, जीने का आधार। बाबा साहब ने दिया,अनुपम-सा उपहार।। हिंदू मुस्लिम सिख सभी,…

दोहावली- रामकिशोर पाठक

निर्णायक जन-जन जहॉं, सफल वहीं गणतंत्र। समता जिसके मूल में, भागीदारी मंत्र।। छब्बीस जनवरी शुभद, दिवस हुआ गणतंत्र। संविधान लागू हुआ, जिससे चलता तंत्र।। आज चतुर्दिक दिख रहा, लूट-पाट षड्यंत्र।…

मनहरण घनाक्षरी- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

कटक में जन्म लिए, देश हित कर्म किए, देशभक्त थे सुभाष, कर्मनिष्ठ जानिए। माता प्रभावती साथ, पिता जी जानकी नाथ, शिक्षा कर्म में प्रख्यात, दिव्य पुत्र मानिए। हिंद फौज का…