कुँवर सिंह – राम किशोर पाठक

मनहरण घनाक्षरी मृगराज सी हुँकार, चमकती तलवार, अंग्रेजों को ललकार, किए जो कमाल थे। उम्र अस्सी किए पार, यौवन सी स्फूर्ति धार, रविसुत हो सवार, बने जो विकराल थे। गोली…

जीने का अधिकार – राम किशोर पाठक

छंद – दोहा जीने का अधिकार है, सबको एक समान। जीव-जंतु सबका करें, रक्षा बन बलवान।।१।। रखिए हरपल हीं यहॉं, दीन-हीन का ध्यान। जीने का अधिकार दे, और उन्हें सम्मान।।२।।…

दर्पण- राम किशोर पाठक

छंद – दोहा किरणें आती जो रही, लौटाती उस ओर। सतह परावर्तक सदा, कहलाती वह छोर।। सतह परावर्तन करे, दर्पण उसका नाम। वापस लौटाना सदा, होता जिसका काम।। सतही संरचना…

विश्व विरासत दिवस – राम किशोर पाठक

मनहरण घनाक्षरी सभ्यता का इतिहास, मिले जानकारी खास, करे विश्व एहसास, धरोहर पाइए। अठारह अप्रैल को, संस्कृति संरक्षण को, भूतल उत्खनन को, विचार बनाइए। सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक स्थल रत, ज्ञान…

समरसता हो सदा सभी में – मनु कुमारी

समरसता हो सदा सभी में, शास्त्र यही बतलाता है। शांति और सद्भाव बनाकर,मानव बस यह पाता है।। मीठी बोली कड़वेपन का,भाव सभी हर लेता है। रोती अंखियों में ना जानें,…

विश्वास और अभ्यास का छंद सोरठा

छंदों का अभ्यास, रोज कौन सीखा रहा। पूरा है विश्वास, लगन सिखाती है सही।। मात शारदे आस, जो ठुकरा सकती नहीं। मैं हूॅं उनका दास, अब सीखा सकती वही।। होगी…

दोहावली – मनु कुमारी

प्रेम प्रलोभन दे रही, खड़ी राम के पास। मन में थी यह चाहना, होगी पूरी आस।। मर्यादा की रास में, किये न अनुचित काम। आमंत्रण ठुकरा दिए, क्षमा सहित श्रीराम।।…

बैशाखी का पर्व है: विधा: मनहरण घनाक्षरी– रामकिशोर पाठक

कहते मेष संक्रांति, है विषुवत संक्रांति, फसल कटाई शांति, बैशाखी का पर्व है। सूर्य का मेष प्रवेश, पंज प्यारे धर वेश, हरिद्वार ऋषिकेश, मेला पर गर्व है। पुथण्डु बोहाग बिहू,…

महावीर – रामकिशोर पाठक

छह सौ साल ईसा पूर्व का, वैशाली शुभ धाम। कुण्डग्राम में जन्म हुआ, बर्धमान था नाम।। थी चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी,क्षत्रिय सिद्धार्थ द्वार। त्रिशला का पावन गर्भ हुआ, महावीर अवतार।।…