अगर चाह हो कुछ करने की, करें नित्य श्रम का सम्मान। श्रम के आगे झुकते सारे, पूरे होते लक्ष्य महान।। एकलव्य के श्रम को देखें, वीर धनुर्धर हुआ महान। मल्लाहों…
Category: बाल कविता
गिलहरी – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
विद्यालय के प्रांगण में, है झूलती आम की डाली। उससे अक्सर आती जाती, कतिपय गिलहरियाॅं मतवाली।। बच्चों की किलकारी सुनकर, फूर्र-फूर्र फूर्रर हो जातीं। बच्चे उनकी ओर भी आते, चूँ…
बाजा की आवाज- रामकिशोर पाठक
बाजा की आवाज आ रही है माँ मन को लुभा रही है। बाहर मुझको जाने दो न कारण देखकर आने दो न कहकर प्रमा मुस्का रही है माँ…
पापा हमारे कितने प्यारे – अमरनाथ त्रिवेदी
ऐसे हमारे पापा प्यारे पापा पापा कितने प्यारे, हम बच्चों के कितने न्यारे। हमें समझाते कितने अच्छे, बातें करते कितने सच्चे। उनके बिना न लगता मन, बिना उनके न खिलता …
गिरते दाँत और गाजर- अवनीश कुमार
नाना जी ने बोई गाजर रोज सुबह पानी देते आकर। राजू नाना से पूछा जाकर नानू यह गाजर कब तक आएगा? मेरा प्यारा कल्लू खरहा कब इसे खाएगा? नाना जी…
पेजर का भय- रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
काग बोलता रहा डाल पर, क्या लिखा दुनिया के भाल पर? तेरे अस्तित्व पर मैं टिका हूॅं, तुझसे बहुत मैं सीखा हूॅं। विस्मित हूॅं बदलते चाल पर। कौवा बोल रहा…
जंगल में मंगल – मधु कुमारी
संग हरियाली के जी ले पल दो पल, करती सरिता जहाँ पग-पग कल-कल। मनहर-सी छटा छाई धरा पर हरपल, करते अंबर जिसकी रखवाली पल-पल।। आओ बच्चों करें जंगल में…
राजू के घर चली मासी – अवनीश कुमार
राजू के घर चली मासी बच्चों के लिए ली गरमा-गरम समोसे। रास्ते मे बंदर आया, झपटा थैला, ले गए समोसे। मासी का उतरा चेहरा ऐसे- जैसे लगे लाल-लाल टमाटर…
इंद्रधनुष – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
नभ में इंद्रधनुष को देखो, कितना प्यारा लगता है। मन करता है इसको छू लें, सुंदर न्यारा लगता है।। प्रथम रंग बैंगनी कहाता, रंग दूसरा है नीला। मध्य आसमानी रक्ताभा,…
बच्चों का अंदाज- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
आने वाले समय की,उसको न चिंता होती, हमेशा वो हर पल, रहता बिंदास है। आँखों में बसा के चित्र, सबको बनाए मित्र, अपना ही हमजोली, आता उसे रास है। मलाई…