कर्मयोगी – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो। बनकर दीन–हीन ऐ बंदे, हाथ पसारे मत बैठो। माना अगम अगाध सिंधु है, हार किनारे मत बैठो। छोड़ शिथिलता…

वीर बन, युद्ध कर-मधु कुमारी

वीर बन, युद्ध कर ——————— स्थिति परिस्थिति कितने भी हो प्रतिकूल तुम अपनी आत्म शक्ति पहचान, मत भूल चाहे राह में हो अनेकों…….. शूल ही शूल तू युद्ध कर, उड़ा…

शुभकामना संदेश-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

शुभकामना संदेश नववर्ष के उपलक्ष्य में, शुभकामना है मेरी। यही कामना है मेरी, शुभकामना है मेरी। हम नित यूँ ही बढ़ते जाएँ, अपनी मंजिल को हम पाएँ। अपने शुभ कर्मों…

मन की बात-संध्या राय

मन की बात मैं हूं एक छोटा-सा बच्चा। कोई सुन ले बात मेरी। कोरोना ने कर दिए बंद सारे स्कूल। पहले वहाँ होती थी कितनी सारी चीजें, हम पढ़ते, हँसते,…

शब्द पुष्पांजलि-अर्चना गुप्ता

शब्द पुष्पांजलि  हे साहित्य विभा के किरीट विशाल ! अंतस्तल समाहित जाग्रत भाव ज्वाल, है रस-छंद-ताल की प्रवाहित निर्झरणी भाव विशुद्ध अंतस, ज्यों नवल प्रवाल..। हे परमात्म ब्रह्म के अंश…

हमें उड़ने दो-ज्योति कुमारी

हमें उड़ने दो हमारे पंख हौसलों से हैं,  हमारी उड़ान क्षितिज तक, जहां ज़मीं और आसमां मिलते हैं। हम बच्चे बिहार के हमें नया इतिहास लिखने दो ना। नवाचार से…