समय है गतिमान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

नश्वर दुनिया में है धर्म केवल शाश्वत, लोभ-मोह छोड़कर, नित्य करें प्रेमदान। जगत पिता से यहां कुछ भी है छिपा नहीं, आते जाते रात दिन, देख रहा दिनमान। पेट भरने…

युगपुरुष- कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

  जीवन में कुछ करना है तो, आलस को तजना होगा। बगैर रुके और बिना थके,नित्य तुम्हें चलना होगा।। सपने बड़े सजाए हो तो,शोलों पर चलना होगा। नींदे छोटी करनी…

दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

पावन कार्तिक मास में, करें छठी का ध्यान। गुणवंती करुणामयी, महिमा बड़ी महान।। जग की आत्मा सूर्य को, करें नित्य प्रणिपात। जीवन प्राणाधार हैं, अंशुमान अवदात।। रवि उपासना पर्व है,…

छठ पर्व – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

विद्या:- मनहरण घनाक्षरी छंद छठ व्रती आस रख, मन में विश्वास रख, खुद निराहार रह, करते हैं खरना। शाम-सुबह सूर्य को करते हैं अर्घ्य दान, व्रतियों को रात-दिन, पड़ता है…

विकास की मार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

चहुओर चकाचौंध दिवाली की रात है। सफाई के साथ लाई खुशी की सौगात है।। बल्बों की लड़ियों से घरों को सजाते हैं। दरवाजे और दीवारों पर रंगोली बनाते हैं।। रोशनी…

दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

दीप जलें जब द्वार पर, मिलता नवल प्रकाश। खुशियाँ अंतस् तब मिलीं, हुआ तिमिर का नाश।। दीप अवलि में सज उठे, करते तम को नष्ट। दीन-हीन को देखकर, हरिए उनके…

केवल प्रकाश है – एस.के.पूनम

प्रिय दीप बनकर, हिया करे जगमग, शेष नहीं अब दंभ,केवल प्रकाश है। नित्य दीया जल कर, बिखरने लगी आभा, उज्जवल धरा नीचे,ऊपर आकाश है। परछाईं बन कर, साथ देना उम्रभर,…