सुहाना मौसम- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद ठंडी-ठंडी हवा चली, मुरझाई कली खिली, देखो नीला आसमान, काला घन चमके। कोयल की सुन शोर, छाई घटा घनघोर, चारों दिशा झमाझम, वर्षा हुई जम के। काम…

श्रमिक की व्यथा-कथा- सुरेश कुमार गौरव

मैं भी शान से जीना चाहता हूं मेहनत की रोटी कमाता हूं, दृढ़ शौक है मेरे भी कुछ, बच्चों को खूब पढ़ाना चाहता हूं, लेकिन कभी अप्रवासी बनकर बिलकुल बेगाने…

मौसम का रंग- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

(रूप घनाक्षरी छंद) ठंडी-ठंडी हवा चली, सूखी मिट्टी हुई गीली, धूल भरी आंधी लाया, बादल ने बूंदों संग। हाँफ रहे पेड़ पौधे, सभी खड़े दम साधे, तन में पसीना आया,…

बाल मजदूर- अश्मजा प्रियदर्शिनी

अपने बचपन को खोता कितना वह लाचार। मलिन सी काया,दुर्बल छवि,जीर्ण- शीर्ण आकार। अत्यंत आवश्यक प्यासे को पानी भूखे को आहार। मांसाहार नहीं,उसे भोजन मिल जाए शाकाहार। पर लोगों का…

कुंडलियां छन्द – मनु कुमारी

कुंडलियां छन्द-मैथिली ( बैसाखी पर्व पर ) बैसाखी पाबैन में,दुलहिन रहूं जुड़ाय। अचल रहय अहिबात आ, सुन्दर बनय सुभाय।। सुन्दर बनय सुभाय,पतिव्रत धर्म निभायब। करि उत्तम आचार,पितर के मान बढ़ायब।।…