चली गईं साक्षात सरस्वती जिसका नाम था दीदी लता, वह बसी हैं हमसब के हृदय में जो लिखकर चली गईं अपनी गाथा। लगता नहीं है शायद फिर वो आएँगीं कहाॅ॑…
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मधुमास चैत्र मास- सुरेश कुमार गौरव
फाल्गुन मास में ही अनुभूति प्रदान कर जाती, फिर चैत्र मास आकर जगाती सुंदर भावों में! 🍂 आनंद बांटती यह मधुमास या चैत्र मास, जैसे वसंत का होता आगमन फाल्गुन…
भारत नववर्ष चैत्र मास- सुरेश कुमार गौरव
प्रकृति प्रदत्त इस नव वर्ष चैत्र मास का, जब होता शुभ प्रवेश! पेड़-पौधों, फूल, मंजरी,कलियों में ,तब आ जाते नव आवेश!! नव वातावरण का नूतन उत्साह, मन को कर देता…
जीवन मार्ग- सुरेश कुमार गौरव
जीवन की ये कटु सच्चाई है कि असफलताओं के बिना प्रगति नहीं। चढ़ते-चढ़ते गिरना फिर उठना संभलकर कदम आगे को बढाना। अनुशासन है जीवन की प्रगति जो न माने उसकी…
गुरु और शिष्य”- सुरेश कुमार गौरव
जब बालपन और बालमन था तब गुरुओं ने ही ज्ञान पिपासा से जोड़ा भविष्य के मुहाने पर ला सुपथ पर चलने का मार्ग प्रशस्त किया। क्षमा करें वैसे गुरुवर शील…
स्वास्थ्य मंत्र- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
दूर होंगे कष्ट सारे, निरोग रहोगे प्यारे, रोज दिन कुछ देर कसरत करना। राम-राम भज कर, आलस को तज कर, बिस्तर सवेरे छोड़ सुबह टहलना। भूख लगने पे खाना, जल्दी…
प्रकृति जीवन प्रभात- सुरेश कुमार गौरव
हुआ सबेरा जाग उठा जीवन प्रभात! धरा की दूब पर मोती स्वरुप ओस हैं पड़े मंद-मंद वयार ताजगी के फूल खिले हैं अड़ें ओस की बूंदें धरती का करे शीतल…
जीवन एक कर्म बंधन- सुरेश कुमार गौरव
जीवन एक विश्वास रुपी है अनोखा बंधन, रक्त के तो कहीं बिना रक्त के कहलाते बंधन, हर्ष-विषाद,खट्टी-मीठी और अनोखी यादों का, भरोसे, धैर्य, विश्वास, प्रेम,आशामय रुप का, पर जीवन एक…
सदा उपयोगी साईकिल- सुरेश कुमार गौरव
साईकिल की सवारी अब भी है खूब बड़ी न्यारी, चुस्त दुरुस्त रखती, प्रदूषण रहित है बड़ी प्यारी। जब पहली बार हाथ में आई थी यह साईकिल, चूमा और बढिया से…
मिट्टी का खिलौना- जयकृष्णा पासवान
मैं मिट्टी हूं मगर एक आकार का प्यासा हूँ। कोमल हाथों से एक आकृति प्रदान कर दीजिए।। मैं इस उपकार को ताउम्र तक निहारता रहूंगा।। मैं तो फिजाओं का एक…