नव वर्ष हृदय स्वीकार करो नव वर्ष हृदय स्वीकार करो। पावन नूतन प्यार भरो। राग द्वेष को दूर भगाकर, नित्य नया विश्वास जगाकर, दीनों का उद्धार करो। पावन नूतन प्यार…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
नव वर्ष-रूचिका
नव वर्ष नव संकल्प, नव निश्चय, नव उमंग हो स्वागत कीजिये नव वर्ष का तरंग हो दृढ़ता हिम्मत और संबल बनें सदा, हर दिल में प्रीत का इंद्रधनुषी रंग हो।…
स्वच्छता अपनाएं-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
स्वच्छता अपनाएं आओ हम स्वच्छता को अपनाएं, अपने जीवन को सफल बनाएं। साफ-सफाई को अपनाकर, अब सभी रोगों को दूर भगाएं।। यदि सभी को स्वच्छ मिलेगा पानी, सुखी होगी हमारी…
जंगल में मंगल-मधु कुमारी
जंगल में मंगल संग हरियाली के जी ले पल दो पल करती सरिता जहाँ पगपग कलकल मनहर सी छटा छाई धरा पर हरपल करते अंबर जिसकी रखवाली पलपल आओ बच्चों…
जीवन प्राण है मिट्टी-सुरेश कुमार गौरव
जीवन प्राण है मिट्टी चाह यही है इस मातृ मिट्टी को सदैव चूमता जाऊं ! चाह यही है इस मातृ मिट्टी को सदैव सींचता जाऊं !! चाह यही है इस…
नशामुक्त हो जहां-कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
नशामुक्त हो जहां नशामुक्त होगा अगर इंसान, करेगा सभ्य समाज का निर्माण। देकर अपनी रचनात्मक योगदान, कराएगा मानवता की पहचान। नशा का मत कर तू पान, संवार ले अपनी कीमती…
अन्नदाता-सुरेश कुमार गौरव
अन्नदाता जब तक कि मिट्टी से सने नहीं, अन्नदाता के पूरे पांव-हाथ! सदा खेतों में देते रहते ये, बिना थके-रुके, दिन-रात साथ!! हल, बैल, कुदाल, रहट, बोझा, पईन, पुंज और…
किसान-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’,
किसान खेती, बेटी एक समान होती है कृषक की जान, चर,अचर जीवों का पालक अन्नदाता है किसान। धूप-छांव हो या कि वर्षा कभी नहीं करता विश्राम, दिन-रात वह करता काम,…
चीरहरण-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’,
चीरहरण द्रोपदी सभा में चीख रही लाज बचाए कौन? सभासद स्तब्ध सभी हैं नजर झुकाए मौन।। भीम, अर्जुन, धर्मराज बैठे हैं चुपचाप। वीरों की इस सभा को सूंघ गया है…
ये हवाएं और फिजाएं-सुरेश कुमार गौरव
ये हवाएं और फिजाएं प्रकृति ने बनाए सुलभ नियम, बहुत सारे ऐसे ! संसार के सभी जीव बंधे हुए हैं, इनसे जैसे !! 🌱 मानव की विचारधारा मानों बदलती चली…