ज़ख्मों को सहलाते रहिये दिल की रीत निभाते रहिये, जख्मों को सहलाते रहिये। संकट में है पड़ी मानवता, मानव धर्म निभाते रहिये। जंग कठिन है रण है बाकी, अपना धर्म…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
युवा तुम लड़ो मुस्किलों से-संदीप कुमार
युवा तुम लड़ो मुश्किलों से हाँ, युवा तुम हो देश के भविष्य तुम हर असंभव कार्य को संभव कर सकते हो तुम्हारे अंदर है असीमित शक्ति तुम डटकर सामना करना…
बिन संघर्ष कुछ मिलता नहीं-खुशबू कुमारी
बिन संघर्ष कुछ मिलता नहीं क्या हुआ जो इतने थक कर हार गए तुम रास्ते और भी है इतने बेबस और लाचार क्यों हो गए तुम ? जिंदगी खत्म…
कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं-रीना कुमारी
कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं बच्चे तो कच्चे माटी के बने होते हैं जैसा चाहो वैसा रूप बना दो, पर हम खुद कुम्हार बनते नहीं, कौन कहता है बच्चे…
कौन कहता बच्चे पढ़ते नहीं-प्रियंका कुमारी
कौन कहता बच्चे पढ़ते नहीं बच्चों की होती अलग सी दुनिया जिसमे होती उनकी जान, कल्पनाओं का पंख लिए हौसलों से भरते वे अपनी उड़ान, सृजनात्मकता होती उनमें कूट-कूट कर…
उसके सपने मेरे सपने, उदास बचपन-गिरिधर कुमार
उसके सपने मेरे सपने बड़े जतन किये समझने के उसकी तोतली जुबान को शब्द सा कुछ नहीं अर्थ सा कुछ नहीं एक लय! लय सा है फिर भी चलता लुढ़कता…
बच्चों का सर्वांगीण विकास-नूतन कुमारी
बच्चों का सर्वांगीण विकास बच्चों का मन चंचल चितवन है, हम उन पर लिख देंगे इतिहास, सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर, देंगे ज्ञान का अलौकिक प्रकाश। खेल-खेल में सीखते हैं बच्चे, छू…
विद्या वाहिनी का रूप शिक्षक-शालिनी कुमारी
विद्या वाहिनी का रूप शिक्षक देश के शिरोरत्न हैं शिक्षक शिक्षक ही है राष्ट्र-निर्माता शिक्षक के ज्ञान की ज्योति से जीवन सुख-संपन्न हो जाता नौनिहालों के स्वर्णिम भविष्य को शिक्षक…
शिष्य-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
शिष्य विद्या, बुद्धि, धीरज, संयम जो जीवन में अपनाता है, वही गुरू का सर्वश्रेष्ठ शिष्य सदा कहलाता है। सूर्योदय से पहले जो अपनी शैय्या को छोड़े, काम-क्रोध, लोभ और ईर्ष्या…
गुरु वन्दना-स्वाति सौरभ
गुरु वन्दना हम हैं कोरे कागज़-सा, आप कलमकार हो गुरुवर। हम तो लिखते गीत हैं, आप सजाते सुर- ताल हो गुरुवर।। हम तो हैं नौसिखिये परिदें, लड़खड़ाते बार- बार हैं…