अद्वितीय कवि दिनकर – अमरनाथ त्रिवेदी

एक अद्वितीय कवि दिनकर केवल  बातों  पर  ही  बात  नहीं, तथ्यों  पर प्रखर रूप से बात करे। कवि वैसा हो जो यथार्थ धरातल पर, प्रखरता से दिल में उतर  बरसात…

अद्वितीय कवि दिनकर – अमरनाथ त्रिवेदी

एक अद्वितीय कवि दिनकर केवल  बातों  पर  ही  बात  नहीं, तथ्यों  पर प्रखर रूप से बात करे। कवि वैसा हो जो यथार्थ धरातल पर, प्रखरता से दिल में उतर  बरसात…

बेटियाँ- गिरीन्द्र मोहन झा

धन्य वह गेह, जहाँ खिलखिलाती हैं बेटियाँ, धन्य वह गेह, जहाँ चहचहाती हैं बेटियाँ, धर्म-ग्रंथ कहते हैं, गृह-लक्ष्मी होती बहु-बेटियाँ, सारे देवों का वास वहाँ, जहाँ सम्मानित हैं बेटियाँ, बेटी…

कब तक हार से डरते रहोगे – गुड़िया कुमारी

  कब तक यूँ ऐसे बैठे रहोगे, कब तक हार से डरते रहोगे। कदम आगे बढ़ाना होगा, अगर लक्ष्य को पाना होगा। हार-जीत का खेल भी होगा, साहस तुम्हें दिखलाना…

भगवान विश्वकर्मा- अमरनाथ त्रिवेदी

सजी धजी यह धरा सुहानी , कितनी  प्यारी   लगती  है। विश्वकर्मा जी की कृपा मात्र से , यह  छटा  निराली  लगती   है।। अभियंता का काम जगत में, यह  अभियंता  ही …