बेचारा मजदूर दिनभर करता मजदूरी परिवार से रहता दूर, बेचारा मजदूर। कभी खेत में काम है करता कभी सड़कों पर धूप को सहता, जाड़ा गर्मी और बरसात को सहता है…
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कैसी ये पहेलियाँ- एस.के.पूनम
मनहरण घनाक्षरी (कैसी ये पहेलियाँ) पतझड़ में पत्तियां, दूर चली उड़कर, शांत मौन नभचर,सूनी-सूनी डालियाँ। कलियाँ भी मुर्झाकर, बिखरी है सूख कर, मंडराता मधुकर,अब कहाँ क्यारियाँ। चमन उजड़ गया, उड़…
नारी क्यों मजबूर हुई – नीतू रानी
नारी क्यों मजबूर हुई जब उसपर अत्याचार क्रूर हुई, तभी नारी मजबूर हुई। नारी पर पुरुषों का बज्र प्रहार, नारी खाती रही पुरुषों की मार। नारी पर बदनामी की दाग,…
बाल मजदूर- अश्मजा प्रियदर्शिनी
अपने बचपन को खोता कितना वह लाचार। मलिन सी काया,दुर्बल छवि,जीर्ण- शीर्ण आकार। अत्यंत आवश्यक प्यासे को पानी भूखे को आहार। मांसाहार नहीं,उसे भोजन मिल जाए शाकाहार। पर लोगों का…
डाॅक्टर के पास- नीतू रानी
विषय-जाति गणना जाति गणना कार्य करते हुए लगी ठंड , दाहिने हाथ और पीठ में उठा भयानक दर्द। इसी भयानक दर्द पर करती रही जाति गणना कार्य, जब दर्द मैं…
शराबी पति- नीतू रानी
विषय-शराब तर्ज-सजनवां बैरी हो गईल हमार। सजनवां शराबी हो गईल बीमार कतौ सेअ आबै हमरा ऊ मारै, दैय बीछ – बीछ केअ ओ गाएर बलमुवां शराबी हो गईल बीमार सजनवां…
नारी व्यथा- अमरनाथ त्रिवेदी
आज के भटकते समाज मे , नारी की स्थिति क्या होती है ? दिन -रात निज कर्म में रह , अभिशप्त जीवन ही जीती है । सीता – सावित्री की…
कलयुग सा संसार- नीतू रानी
ये है कलयुग सा संसार जिसमें है दुखों का भंडार, यहाँ लड़ाई-झगड़े रोज हैं होते होते हैं मारकाट। ये है कलयुग———२। यहाँ लोग मोह- माया में लिपटे और पँच पाप…
जीवन का मर्म – कुमकुम कुमारी”काव्याकृति”
भूलकर भेदभाव,दिल में हो समभाव, जीभ पर रहे सुधा,प्रेम रस पीजिए। होठों पर मुस्कान हो,गम का न निशान हो, मीठे बोल बोलकर, सुख सदा दीजिए। जीवन में हो उमंग,चाह का…
दुर्बल -जयकृष्णा पासवान
दुर्बल को ना सताईये, जाकी माटी होय । दुर्बल जग शीतल करे, आपहु शीतल होय।। मधुर वचन से जग लुभा, कठोर वचन अहंकारी। जैसे धू-धू समा जले, तीनों कुल विनाशकारी।।…