अपने बचपन को खोता कितना वह लाचार। मलिन सी काया,दुर्बल छवि,जीर्ण- शीर्ण आकार। अत्यंत आवश्यक प्यासे को पानी भूखे को आहार। मांसाहार नहीं,उसे भोजन मिल जाए शाकाहार। पर लोगों का…
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डाॅक्टर के पास- नीतू रानी
विषय-जाति गणना जाति गणना कार्य करते हुए लगी ठंड , दाहिने हाथ और पीठ में उठा भयानक दर्द। इसी भयानक दर्द पर करती रही जाति गणना कार्य, जब दर्द मैं…
शराबी पति- नीतू रानी
विषय-शराब तर्ज-सजनवां बैरी हो गईल हमार। सजनवां शराबी हो गईल बीमार कतौ सेअ आबै हमरा ऊ मारै, दैय बीछ – बीछ केअ ओ गाएर बलमुवां शराबी हो गईल बीमार सजनवां…
नारी व्यथा- अमरनाथ त्रिवेदी
आज के भटकते समाज मे , नारी की स्थिति क्या होती है ? दिन -रात निज कर्म में रह , अभिशप्त जीवन ही जीती है । सीता – सावित्री की…
कलयुग सा संसार- नीतू रानी
ये है कलयुग सा संसार जिसमें है दुखों का भंडार, यहाँ लड़ाई-झगड़े रोज हैं होते होते हैं मारकाट। ये है कलयुग———२। यहाँ लोग मोह- माया में लिपटे और पँच पाप…
जीवन का मर्म – कुमकुम कुमारी”काव्याकृति”
भूलकर भेदभाव,दिल में हो समभाव, जीभ पर रहे सुधा,प्रेम रस पीजिए। होठों पर मुस्कान हो,गम का न निशान हो, मीठे बोल बोलकर, सुख सदा दीजिए। जीवन में हो उमंग,चाह का…
दुर्बल -जयकृष्णा पासवान
दुर्बल को ना सताईये, जाकी माटी होय । दुर्बल जग शीतल करे, आपहु शीतल होय।। मधुर वचन से जग लुभा, कठोर वचन अहंकारी। जैसे धू-धू समा जले, तीनों कुल विनाशकारी।।…
दिल के आंसू -जय कृष्णा पासवान
दुनिया के हर सितम, मुझपे छलकती है । मगरूर है ज़माना देखो, क्या मजाक उड़ाती है।। “तपता है दिल मेरा” अरमान कुचल जाते हैं। रूखी- सूखी रोटी से, अपना दम…
अवकाश चाहिए -संजय कुमार
थकान जो उतार दे, मन के अवसाद का मुझे वैसी अवकाश चाहिए। भागम भाग भरे जीवन में यन्त्र बने हम काम करे। खत्म नहीं होता यह फिर भी नहीं समय…
कुदरत का कहर- जय कृष्णा पासवान
कुदरत किया कहर वर्षाया, प्रकृति संपदा बचाने को । “स्वच्छ मन पावन रिश्ता” निर्मल गंगा बहाने को ।। पाप की पुंजी भर गया, मानवता केअस्तित्व मिटाने को । “हवा का…