बाल मजदूर- अश्मजा प्रियदर्शिनी

अपने बचपन को खोता कितना वह लाचार। मलिन सी काया,दुर्बल छवि,जीर्ण- शीर्ण आकार। अत्यंत आवश्यक प्यासे को पानी भूखे को आहार। मांसाहार नहीं,उसे भोजन मिल जाए शाकाहार। पर लोगों का…

शराबी पति- नीतू रानी

विषय-शराब तर्ज-सजनवां बैरी हो गईल हमार। सजनवां शराबी हो ग‌ईल बीमार कतौ सेअ आबै हमरा ऊ मारै, दैय बीछ – बीछ केअ ओ गाएर बलमुवां शराबी हो ग‌ईल बीमार सजनवां…

कलयुग सा संसार- नीतू रानी

ये है कलयुग सा संसार जिसमें है दुखों का भंडार, यहाँ लड़ाई-झगड़े रोज हैं होते होते हैं मारकाट। ये है कलयुग———२। यहाँ लोग मोह- माया में लिपटे और पँच पाप…

जीवन का मर्म – कुमकुम कुमारी”काव्याकृति”

भूलकर भेदभाव,दिल में हो समभाव, जीभ पर रहे सुधा,प्रेम रस पीजिए। होठों पर मुस्कान हो,गम का न निशान हो, मीठे बोल बोलकर, सुख सदा दीजिए। जीवन में हो उमंग,चाह का…

कुदरत का कहर- जय कृष्णा पासवान

कुदरत किया कहर वर्षाया, प्रकृति संपदा बचाने को । “स्वच्छ मन पावन रिश्ता” निर्मल गंगा बहाने को ।। पाप की पुंजी भर गया, मानवता केअस्तित्व मिटाने को । “हवा का…