रोक कर चौराहे पर बोला एक दिन मुझसे क्या तुम देख सकते हो? लथपथ हूं खून से मैं! छलनी है मेरा बदन रो और तड़प रहा हूं सिसक रहा हूं…
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बाल- विवाह- पामिता कुमारी
कथी ला कैलहो बियाह हमर पक्का उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा, उमरिया नय होल छै बियाह के हो पप्पा।। ससुरा में हमरा से चूल्हा फुकबैतै, छोट-छोट बतिया…
खांमोशी भी कुछ कहती है – नीतू रानी
खामोशी भी कुछ कहती है चाहे कोई मुँह से बोलकर नहीं कहे , लेकिन ये आँखें बहुत कुछ कह देती है। मैंने ऐसा देखा एक बार जब खामोश थे मेरे…
छागर की माॅ॑ – नीतू रानी” निवेदिता”
छागर की माॅ॑ बकरी कहती है क्या यहीं है नवरात्रि का त्योहार, जिस त्योहार में की जाती है मेरे आगे मेरे बच्चों की मार-काट। मत मारो मेरे बच्चे को न…
विदा होते वक्त-सुरेश कुमार गौरव
विदा होते वक्त विदा होते ऐ वक्त फिर लौटकर, यह दिन मत दिखाना! कोरोना काल के भया-भय इतिहास को, मत दुहराना!! कितने हो गए काल कवलित, छोड़ गए अपना घराना!…
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’,
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि देश का मान बढ़ाया तूने अनेकों सैनिक से। तिरंगे ने सिर छुपा लिया है तेरे अंतिम बलिदान से।। तेरे रन कौशल से डरकर दुश्मन शीश झुकाता था, तेरी…
हिंदी दिवस मना रहे हैं हमसब फिर आज-स्मिता ठाकुर
हिंदी दिवस मना रहे हैं हम सब फिर आज बिना दिवस के बन गयी “अंग्रेजी” सरताज अंग्रेजी सरताज, उन्नति बहुत जरूरी हम सब भी रक्खे गुपचुप हिंदी से दूरी बच्चो…
कारागृह की वेदना-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
कारागृह की वेदना करुण” क्रंदन से “कारागृह” कांप उठा वह कक्ष-निरीह, “काल” ने कैसा खेल रचा कोठरी में था हाहाकार मचा। मौन “कोठरी” सब…
वर्षा रानी-ब्यूटी कुमारी
वर्षा रानी कभी फुहारा बन बरसती धरती को सरस बनाती चारो और हरियाली छाई। कभी मोटे बूंदो वाली बहुत हुआ अब कीचड़ पानी अब न करो मनमानी। बादल की गरज…
कोरोना काल में छात्र की अभिलाषा-डॉ. अजय कुमार “मीत”
कोरोना काल में छात्र की अभिलाषा बजेगी टन-टन स्कूल की घंटी पाठशाला का सत्र चलेगा शिक्षक फिर पढ़ाएंगे ऐसे दिन कब आएंगे? बांए मुड़, दांए मुड़ पंक्ति सीधी करो सावधान,…